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जामेश्वर महादेव सरोवर में स्नान से होती है संतान की प्राप्ति, कई राज्यों से स्नान व दर्शन के लिए आते हैं लोग

चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील क्षेत्र के जामडीह गांव स्थित जामेश्वर महादेव सरोवर में पुत्र कामना के लिए कार्तिक महीने शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को देश-विदेश के सभी धर्म के लोगों का जमघट लगता है
 

संतान प्राप्ति के लिए उमड़ती है भीड़

पति व परिजनों के साथ आती हैं महिलाओं

मनौती पूरी होने पर बच्चे का कराते हैं मुंडन

ऐसा है जामडीह के मंदिर का इतिहास

 

 चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील क्षेत्र के जामडीह गांव स्थित जामेश्वर महादेव सरोवर में पुत्र कामना के लिए कार्तिक महीने शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को देश-विदेश के सभी धर्म के लोगों का जमघट लगता है, जिसको देखते हुए हर साल प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद करके रखा जाता है, ताकि किसी प्रकार की कोई घटना न हो। 

आपको बता दें कि जनपद के सकलडीहा तहसील क्षेत्र के जामडीह गांव स्थित जामेश्वर महादेव के सरोवर में पुत्र कामना के लिए महिलाएं कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को स्नान कर बाबा जामेश्वर नाथ का दर्शन पूजन करती हैं, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। अधिकतर लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होने से दिनों दिन यहां भीड़ बढ़ती जा रही है।
बताया जा रहा है कि दूर-दराज से  आने वाले भक्त एक दिन पहले ही आकर यहां डेरा जमा लेते हैं और द्वितीया तिथि को सुबह स्नान एवं पूजन के बाद अपने घर को चले जाते हैं। 


ऐसी है मान्यता


इस स्थान के बारे में मान्यता है कि यहां जिस भी महिला के गर्भ में बच्चे समाप्त हो जाते हैं, या संतान नहीं होते हैं वह यहां सरोवर में स्नान करती हैं और पूजन करती हैं तो उनको निश्चित ही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान उत्पन्न होने के बाद पुनः बच्चों के साथ महिलाएं आती हैं और सरोवर में स्नान कर मुंडन भी करवाती हैं तथा बाबा का पूजन अर्चन करती हैं। 
यहां पर केवल हिंदू धर्म की महिलाएं ही नहीं आती हैं, बल्कि बुर्के में मुस्लिम धर्म की महिलाएं भी यहां संतान की कामना के लिए आती हैं और अपनी आस्था के अनुसार स्नान करती हैं।
इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा पूरी तरह से सुरक्षा व्यवस्था की गई हैं  जिसमें मेडिकल कैंप आदि की भी व्यवस्था हुईं है ।

यह स्नान दीपावली के दूसरे दिन सुबह से प्रारंभ होकर और द्वितीय तिथि तक चलता है। श्रद्धालुओं के बढ़ते भीड़ को देखकर मंदिर प्रशासन व ग्रामीण भी लोगों की सुविधा के लिए यथासंभव मदद करते हैं, ताकि बाहर से आने वाले लोगों को खास परेशानी का सामना न करना पड़े।

Jameshwar Mahadev Mela


ऐसी है पौराणिक कहानी


मान्यता है कि 200 वर्ष पर पूर्व गाजीपुर के अग्रहरि परिवार को संतान नहीं था और वह चंदौली जा रहे थे। बीच रास्ते में इसी मंदिर के सामने एक पेड़ था। उसी के नीचे वह गर्मी के दिन में सोए थे। तभी बाबा जामेश्वर नाथ ने स्वप्न दिया कि मेरा मंदिर बनवा दो और सरोवर में स्नान अपनी पत्नी को करवा दो तो तुमको पुत्र उत्पन्न हो जाएगा। अग्रहरि जी के द्वारा यह कार्य किया गया और उसके बाद उनको पुत्र उत्पन्न हुआ तो वह मुंडन करवा करके और जामेश्वर नाथ जी का मंदिर बनवाया। तब से यह परंपरा चालू हो गई है। लोगों की मनोकामना पूर्ण होने पर गाजा बाजा से लोग यहां आकर बाबा का पूजन अर्चन करते हैं।

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