सकलडीहा पीजी कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ, कई विद्वानों ने रखे विचार
भारतीय समाज में डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रभाव पर संगोष्ठी
प्रोफेसर आरएन त्रिपाठी व प्रोफेसर बंशीधर पांडेय रहे मौजूद
कुलपति एके त्यागी ने किया शुभारंभ
गोष्ठी का शुभारंभ महाविद्यालय के पंडित रामकमल पांडेय सभागार में माननीय कुलपति एके त्यागी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर आरएन त्रिपाठी काशी हिंदू विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग एवं सदस्य लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश एवं प्रोफेसर बंशीधर पांडेय, निदेशक वर्धा समाज कार्य संस्थान महाराष्ट्र एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडेय ने मां सरस्वती के पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ उद्घाटित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉक्टर दयाशंकर सिंह यादव, समाजशास्त्र विभाग सहित देश भर के विश्वविद्यालय एवं महविद्यालय के उद्भट विद्वान एवं रिसर्च स्कॉलर सहित छात्र छात्राओं के सम्मिलित सहभागिता से प्रारंभ हुई।
माननीय कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मानव मन की प्रवृत्ति है सूचना, नवाचार, ज्ञान संचयऔर ज्ञान प्रसार से उत्तम नागरिक का निर्माण होता है जो देश और मानव हित में इसका प्रसार प्रचार के साथ कहा की भारत गांव का देश है। यह सकलडीहा वह गांव है, जिसकी परिभाषा ही है सकल माने संपूर्ण और डीह अर्थ है गांव। हमें यह विश्वास है कि ग्रामीण अंचल का यह महाविद्यालय और यहां उपस्थित सभी समाजशास्त्री इस पर विचार मंथन करें।
भारतीय समाज में डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रभाव इसके दुष्प्रभाव और इसकी चुनौतियों से कैसे मानव कल्याण किया जा सकता है।
मौके पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर आरएन त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय ज्ञान की चिंगारी प्रस्फुटित होनी चाहिए। देश में 2015 में डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से एक क्रांति आई जो आज पूरे भारतीय समाज का ध्यान आकर्षण किया है।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर बंशीधर पांडेय निदेशक, वर्धा समाज कार्य संस्थान महाराष्ट्र संप्रति परीक्षा नियंत्रक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने अपने व्याख्यान में सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित कई पहलुओं को उदघृत किया।
कोविड-19 के दौरान एक प्रकार से शिक्षा जगत पर ग्रहण सा लगा था। उस समय सूचना और प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा में एक अलख जगी है। राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से निकले विचार भारत सरकार को इस ओर बढ़ते कदम तथा समाज के कल्याण साकार होता दिखाई पड़ेंगे। हां कुछ चुनौतियां जरूर हैं, जिनमें शिक्षाविदों वैज्ञानिकों समाज शास्त्रियों का योगदान जागरूकता एवं सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडेय ने संगोष्ठी में पधारे अतिथियों का अंगवस्त्र एवं माल्यार्पण कर गर्म जोशी से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर दया निधि सिंह यादव ने किया। उद्घाटन के उपरांत द्वितीय सत्र में पधारे समाज शास्त्रियों ने कई बोधगम्य अपने-अपने विचार रखे।
इस अवसर पर चीफ प्रॉक्टर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रोफेसर अमिता सिंह, प्रो. पीके सिंह, संगोष्ठी सचिव डॉ श्याम लाल यादव, प्रोफेसर एमपी सिंह, प्रोफेसर समीम, प्रोफेसर उदय शंकर झा, डॉ यज्ञनाथ पांडेय, डॉ जितेंद्र यादव, डॉ संदीप सिंह, डॉ राजेश यादव, श्री अजय यादव, पुस्तकालय डॉ सीता मिश्रा, वंदना मिश्रा, डॉक्टर अभय वर्मा, डॉ पवन ओझा, डॉक्टर प्रमोद पांडेय आदि उपस्थित रहे।
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