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सकलडीहा पी जी कॉलेज में संपन्न हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी, कई वक्ताओं ने रखी अपनी राय

संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर विजेंदर  सिंह रक्षा अध्ययन विभाग ने आए हुए अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संदीप कुमार सिंह ने की।
 

मीडिया का पड़ता है समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव

सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को समझने की जरूरत

युवाओं को जागरूक और सावधान रहना जरूरी

चंदौली जिले के सकलडीहा पीजी कॉलेज में समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार कुशल संपन्न हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी के संपन्नता सत्र के मुख्य अतिथि मनीष कुमार सीजीएम जिला सेशन कोर्ट वाराणसी तथा विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर उदयन मिश्रा प्राचार्य लाल बहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज दीनदयाल नगर एवं अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडेय  ने की।

 इस अवसर पर संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर विजेंदर  सिंह रक्षा अध्ययन विभाग ने आए हुए अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संदीप कुमार सिंह ने की। सीजीएम मनीष कुमार ने संगोष्ठी के विषय- मीडिया समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पर अपने विचार रखे।

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 उन्होंने बताया कि मीडिया समाज और सुरक्षा के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। परंतु आज के वैज्ञानिक एवं तकनीक संपन्न मीडिया को उसके द्वारा प्रसारित खबर एवं उसके परिणाम और सूचनाओं में समृद्ध करने की निहित शक्ति के साथ-साथ इसका दुरुपयोग सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी भी बन रहा है। अतः आज समाज की प्रबुद्ध वर्ग को इसकी सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू का गहन अध्ययन कर भावी पीढ़ी को सजेस्ट करना होगा।

सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू में स्पष्ट सामग्री के संपर्क में आना गोपनीयता का उल्लंघन, चरमपंथी और नक्सलवाद विचार का प्रसार, अनुचित छवि को साझा करना, अश्लील भाषा का प्रसार, पारिवारिक संबंधों पर इसका प्रभाव, ऑनलाइन घोटाला बढ़ते साइबर क्राइम के प्रति संवेदनशीलता, और सोशल मीडिया पर आदर्श चित्रण के कारण हताशा और निराशा की भावना को बढ़ावा देने की संभावना जैसे जोखिम भी शामिल हैं। सोशल मीडिया का दुरुपयोग राष्ट्रीय सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर सुरक्षा जोखिम पैदा करता है। जिससे स्थिरता और सांस्कृतिक पहचान को खतरा होता है। कानूनी अपडेट, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, और विनियामक नियंत्रण की आवश्यकता है, अतः इसकी निगरानी एवं जवाब देही को सुनिश्चित करने कामार्गदर्शन ऐसे संगोष्ठी से अवश्य मिलेगा।

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विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर उदयन मिश्रा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया आधुनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है जो संचार नेटवर्किंग और समग्र साझा करने में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है हालांकि इसका उपयोग आंतरिक सुरक्षा के लिए घातक है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडेय ने संगोष्ठी में प्रतिभाग कर रहे समस्त चिंतनशील विवेकी प्रबुद्ध जनों से संगोष्ठी यक्ष प्रश्न भारत का डिजिटल छल अपार संभावनाओं की पेशकश करते हुए साइबर अपराध में वृद्धि कर रहा है आज इसका हल भी ढूंढने का प्रयास बौद्धिक जगत सजग पहरेदारों को ही करना होगा। भारत युवाओं का देश है और यह युवा यह चिंतन करें कट्टर पंथी, चरमपंथी सामूह, उनके उदासीनता और अक्रमड़ता का फायदा उठाकर विविध प्रलोभन एवं सोशल मीडिया के माध्यम से अंतरिक्ष सुरक्षा की विस्फोटक शस्त्र बनाने प्रयास कर रहे हैं। अतः युवाओं को जागरूक रहना होगा। तभी यह देश सन 1947 तक विकसित राष्ट्र की गौरव गाथा लिखेगा।

संगोष्ठी में तमाम विद्वानों ने नकारात्मक एवं सकारात्मक अपने-अपने मत और विचार रखे। संगोष्ठी के टेक्निकल सत्र के चेयर पर्सन शिक्षा संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ राजेश कुमार यादव ने कहां की समाज के दर्पण से चरितार्थमीडिया क्या कारण है कि आज सिर्फ सियासत का आईना बनकर रह गई। अतः आज की मीडिया को अपने नैतिक कर्तव्य समाज के अंतिम व्यक्ति के दुख तकलीफ एवं वेदना को पूर्ण संवेदना के साथ शासन के पटल तक जनता की आवाज बन पहुंचना होगा। आज भाभी युवा पीढ़ी को चतुर्दिक निराशा, जोखिम ,भरे नकारात्मकता के कीचड़ से बाहर निकल स्वयं कमल की तरह खिलना होगा।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर समीम राईन ने संगोष्ठी के माध्यम से प्रबुद्ध जन एवं युवा विद्यार्थियों का आह्वान किया कि आज की डिजिटल दौर में हम सभी इंटरनेट के विविध आयामों का उपयोग कर ज्ञान, विज्ञान, जागरूकता, जन जागरण, सुरक्षा, स्वतंत्रता, कला साहित्य एवं समाज की दुख दर्द को साझा कर सकते हैं।

इस अवसर पर प्रोफेसर पीके सिंह प्रोफेसर, उदय शंकर झा प्रोफेसर डी बी सिंह , डॉ जयप्रकाश यादव, डॉ अमित, डॉ इंद्रजीत सिंह, डॉ डीके द्विवेदी, दो अमन मिश्रा, डॉ वंदना, श्री अजय यादव, डॉ अनिल तिवारी, डॉ श्याम लाल यादव डॉ जितेंद्र यादव डॉ सीता मिश्रा, डॉ उमेश चतुर्वेदी, डॉ गुप्ता, डॉ संदीप जयसवाल, आदि ने अपने विचार इस संगोष्ठी में रखे।

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