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एवती गांव में पशु प्रसार सेवा केंद्र बना आवासीय घर, इलाज के लिए भटक रहे पशुपालक

जब इस भवन में रह रहे मनोज से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि वे पिछले 30 वर्षों से यहीं रहते हैं, यहीं अपनी दो बेटियों की शादी भी कर चुके हैं, और अब यही उनका स्थायी निवास है।
 

एवती गांव का पशु प्रसार केंद्र बना निजी आवास

30 वर्षों से परिवार सहित रह रहे व्यक्ति ने किया भवन पर कब्जा

पशुपालकों को नहीं मिल रही इलाज की सुविधा

गांव में आक्रोश

चंदौली जनपद के धानापुर विकासखंड अंतर्गत एवती गांव में बना पशु प्रसार सेवा केंद्र अपनी मूल भूमिका से पूरी तरह भटक गया है। पशुओं के इलाज और पशुपालकों को सुविधाएं देने के लिए बनाए गए इस सरकारी भवन में पिछले तीन दशकों से एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार के साथ रह रहा है, और इसे आवासीय निवास के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों और पशुपालकों की मानें तो इस केंद्र पर वर्षों से न तो कोई पशु चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है, न ही कोई अधिकारी नियमित रूप से आता है। जब इस भवन में रह रहे मनोज से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि वे पिछले 30 वर्षों से यहीं रहते हैं, यहीं अपनी दो बेटियों की शादी भी कर चुके हैं, और अब यही उनका स्थायी निवास है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यहां किसी तरह की पशु चिकित्सा या पशुओं के इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

जब इस संबंध में धानापुर पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आनंद सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एवती में पशु प्रसार अधिकारी सुरेंद्र यादव की नियुक्ति है, लेकिन केंद्र खुलता है या नहीं, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस केंद्र के संबंध में शिकायत मिली है, और जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि पशुपालकों के लिए बनाए गए इस तरह के प्रसार केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के इलाज, कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण और अन्य आवश्यक सेवाएं देने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं। लेकिन जब ऐसे केंद्र निजी निवास में बदल जाएं, तो पशुपालकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द इस भवन को अतिक्रमण से मुक्त कर पशुपालकों के हित में पुनः चालू किया जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो।

यह मामला प्रशासनिक उदासीनता और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का जीता-जागता उदाहरण है, जिसकी उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है।

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