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कुटुंब प्रबोधन संवाद : भगवान राम की बाल लीलाओं से समझें जीवन के कुछ खास मूल्य

इस दौरान अयोध्या से आये पीठाधीश्वर आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण जी महाराज ने राजा दशरथ के पुत्र वियोग के कारण मरना कोई आश्चर्य नहीं। भगवान के भजन किये बिना जीवन चला गया।
 

पिपरी गांव में डॉ. हरेंद्र राय के आवास पर राम कथा का आयोजन

अयोध्या से पधारे आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण जी महाराज

कथा में राम की बाल लीलाओं का हुआ वर्णन

चंदौली जिले के कमालपुर क्षेत्र के पिपरी गांव में डाक्टर हरेंद्र राय के आवास पर राम कथा का आयोजन किया गया। यह कथा शाम छ: बजे से रात्रि दस तक चली। कथा के माध्यम से भगवान के बाल लीलाओं व कुटुंब जनों की कहानियां कही गयीं।  इस दौरान अयोध्या से आये पीठाधीश्वर आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण जी महाराज ने राजा दशरथ के पुत्र वियोग के कारण मरना कोई आश्चर्य नहीं। भगवान के भजन किये बिना जीवन चला गया। राम की बाल लीलाओं में उनकी शिक्षा, खेल और प्रेम का वर्णन है, जो उनकी महानता और मर्यादा का प्रतीक है।

राम जी की बाल लीला के कुछ प्रमुख पहलू:
शिक्षा और ज्ञान:
राम जी ने अपने गुरु विश्वामित्र से वेद और पुराणों का ज्ञान प्राप्त किया, जिससे वे एक महान और ज्ञानी शासक बने।

खेल और क्रीड़ा:
राम जी अपने भाइयों और सखाओं के साथ वन में खेल खेलते थे, जिससे उनका मन प्रसन्न रहता था।

प्रेम और भक्ति:
राम जी अपने माता-पिता, गुरु और भाइयों के प्रति प्रेम और भक्ति रखते थे।

मर्यादा:

पुरुसोत्तम राम जी हमेशा सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते थे, जिससे वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए।

दिव्यता:
राम जी की बाल लीलाओं में उनकी दिव्यता और शक्ति का प्रदर्शन होता है, जो उन्हें एक आदर्श शासक और भगवान के रूप में स्थापित करता है।

राम जी की बाल लीला के कुछ उदाहरण:
धनुष भंग:
भगवान राम ने शिव धनुष को तोड़ा और सभी को अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

मृगों का शिकार:
राम जी ने अपने भाइयों और सखाओं के साथ वन में शिकार किया, जो उनकी वीरता और शक्ति का प्रतीक है।

माता कौशल्या के साथ खेल:
राम जी ने अपनी माता कौशल्या के साथ खेल खेला, जो उनकी प्रेम और भक्ति का प्रदर्शन करता है।

राम जी की बाल लीलाएं न केवल उनके व्यक्तित्व  उजागर करती हैं, बल्कि वे हमें शिक्षा, प्रेम, और मर्यादा के महत्व का भी संदेश देती हैं।

इस दौरान डक्टर हरेंद्र कुमार राय, रामशीला सिंह, बृजराज राय, डॉ. राम प्रतापराय, डॉ. वेद ब्यास राय, चंद्रभान राय, सुभाष राय, डॉ. संतोष यादव सहित अन्य श्रोता मौजूद रहे।

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