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सकलडीहा-अलीनगर तिराहा सोमवार दोपहर तक रहेगा बंद, वैकल्पिक रास्तों का करना होगा इस्तेमाल

सकलडीहा में हाईवे निर्माण के लिए अलीनगर तिराहा अचानक बंद किए जाने से राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बिना पूर्व सूचना के शुरू हुई ढलाई के कारण एम्बुलेंस और स्कूली वाहनों को भी रास्ता बदलना पड़ा।

 
 

सकलडीहा-अलीनगर तिराहा पूरी तरह बंद

बिना पूर्व सूचना रास्ता किया गया डायवर्ट

सोमवार दोपहर तक जारी रहेगी रास्त की बंदी

राहगीरों को तय करनी पड़ी अतिरिक्त दूरी

बथावर और ताजपुर से वैकल्पिक मार्ग

चंदौली जनपद के सकलडीहा में हाईवे निर्माण की सुस्त रफ्तार अब आम जनता के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। रविवार को कार्यदायी संस्था ने बिना किसी पूर्व सूचना के सकलडीहा-अलीनगर तिराहे को बंद कर दिया और सड़क की ढलाई शुरू कर दी। इस अचानक हुई बंदी के कारण सुबह से लेकर शाम तक वाराणसी और मुगलसराय की ओर आने-जाने वाले हजारों राहगीरों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

तीन साल से जारी है कछुआ चाल निर्माण
स्थानीय ग्रामीणों और व्यापारियों का कहना है कि सकलडीहा में हाईवे का निर्माण पिछले तीन वर्षों से चल रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी महज एक किलोमीटर की सड़क की दोनों पटरियां पूरी तरह तैयार नहीं हो पाई हैं। रविवार को बिना बताए मार्ग अवरुद्ध किए जाने से एम्बुलेंस, स्कूली वाहनों और यात्री बसों को 5 से 7 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ी।

व्यापारी और राहगीर हुए बेहाल
सकलडीहा में हाईवे निर्माण के चलते सबसे ज्यादा असर व्यापार पर पड़ रहा है। डॉ. अंबेडकर तिराहा से लेकर रेलवे स्टेशन जाने वाले यात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मीना बाजार जाने वाली महिलाओं और बच्चों को पैदल लंबी दूरी तय करनी पड़ी। बड़े वाहनों को अलीनगर से चंदौली होते हुए चहनिया, कमालपुर और धानापुर की ओर डायवर्ट किया गया, जिससे परिवहन लागत और समय दोनों की बर्बादी हुई।

सोमवार दोपहर तक रहेगा रूट डायवर्जन
कार्यदायी संस्था के प्रबंधक डीके स्वामी ने बताया कि हाईवे निर्माण के लिए सड़क की ढलाई का काम चल रहा है, जिसके चलते रास्ता बंद करना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सोमवार की दोपहर के बाद ही इस मार्ग पर सामान्य आवागमन शुरू हो पाएगा। वर्तमान में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए बथावर और ताजपुर के रास्तों को खोला गया है।

सड़क निर्माण की इस लचर कार्यप्रणाली और सूचना के अभाव को लेकर ग्रामीणों में गहरा रोष है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को निर्माण कार्य से पहले कम से कम सार्वजनिक सूचना देनी चाहिए थी ताकि लोग वैकल्पिक रास्तों का चयन कर सकें।

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