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सकलडीहा पीजी कॉलेज ने जिले में रचा इतिहास, जानिए कितनी बड़ी मिली उपलब्धि

सकलडीहा पीजी कॉलेज को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा बी ग्रेड दी गई है। अभी तक जनपद में किसी भी महाविद्यालय में नैक की ग्रेडिंग नहीं हुई है।
 

सकलडीहा पीजी कॉलेज को मिली B ग्रेड की रैंकिंग

राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा किया गया मूल्यांकन

ऐसी ग्रेडिंग पाने वाला जनपद का पहला महाविद्यालय

कई अन्य विभागों की भी मिलेगी स्वशासी मान्यता

चंदौली जनपद के सकलडीहा स्थित सकलडीहा पीजी कॉलेज में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक की ग्रेडिंग में बी ग्रेड प्राप्त कर जिले में इतिहास रचने का कार्य किया है। अब यहां के छात्रों को जहां फेलोशिप आदि की व्यवस्था मुहैया होगी वहीं उनकी डिग्री अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य हो जाएगी ।

आपको बता दें कि सकलडीहा पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडे का प्रयास जनपद में इतिहास लिखने का कार्य किया है।सकलडीहा पीजी कॉलेज को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा बी ग्रेड दी गई है। अभी तक जनपद में किसी भी महाविद्यालय में नैक की ग्रेडिंग नहीं हुई है। यह जनपद का पहला महाविद्यालय है जिसको नैक की ग्रेडिंग मिली है।

Sakaldiha PG College

इस खुशी पर सकलडीहा पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग के विभाग अध्यक्ष व उच्च शिक्षा के शिक्षक संघ जिला अध्यक्ष डॉ दया निधि सिंह यादव ने प्रधानाचार्य को माल्यार्पण करते हुए मुंह मीठा करा कर खुशी का इजहार किया है। इस उपलब्धि पर प्रधानाचार्य को अपने पूरे संगठन तथा विद्यालय परिवार की तरफ से आभार व्यक्त किया। तेनुवत गांव के निवासी स्वर्गीय पंडित रामकवल पांडे के प्रयास से बने इस महाविद्यालय को नई  ऊंचाई प्रदान करने के लिए प्रधानाचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडे ने एक नया रूप दिया है। यही नहीं नैक की ग्रेडिंग के बाद यहां कई अन्य विभागों की स्वशासी मान्यता भी मिलेगी और उसमें उच्च शिक्षा का अवसर भी स्थानीय लोगों को मिलेगा।

Sakaldiha PG College

इस संबंध में प्रधानाचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडे ने बताया कि यह सफलता पूरे महा विद्यालय की है और क्षेत्र की है। लोगों ने इस महाविद्यालय को एक अच्छा रूप देने का प्रयास किया है,जिसका परिणाम है कि नैक की ग्रेडिंग में बी ग्रेड महाविद्यालय को मिला है। आगे प्रयास है कि यह महाविद्यालय एक ऐसा महाविद्यालय के रूप में विकसित हो जिसमें विश्वविद्यालय स्तर की सुविधा ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध हो सके।

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