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समाज कल्याण के विद्यालयों पर कोई नहीं देता ध्यान, मजबूरी में एक ही कक्षा में होती है पांचवीं तक की पढ़ाई ​​​​​​​

समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित आदि हिंदू प्राथमिक पाठशाला की उम्र देश की आजादी से भी कहीं ज्यादा है, लेकिन विडंबना यह है कि वर्ष 1937 में निर्मित यह विद्यालय आजादी के 77 वर्ष बाद भी महज एक कक्ष में संचालित होता है।
 

 समाज कल्याण की उपेक्षा के शिकार हैं विद्यालय

ग्रामीणों ने कई बार विभागीय अधिकारियों से लगाई गुहार

 हर बार अधिकारियों ने किया नजर अंदाज 

चंदौली जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित आदि हिंदू प्राथमिक पाठशाला की उम्र देश की आजादी से भी कहीं ज्यादा है, लेकिन विडंबना यह है कि वर्ष 1937 में निर्मित यह विद्यालय आजादी के 77 वर्ष बाद भी महज एक कक्ष में संचालित होता है। वर्तमान समय में यहां कक्षा एक से पांचवीं तक लगभग 80 बच्चे अध्ययनरत हैं। ग्रामीणों ने कई बार विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन उनकी गुहार को हर बार नजर अंदाज कर दिया गया।

आपको बता दें कि कस्बा के अंबेडकर नगर में आदि हिंदू प्राथमिक पाठशाला का निर्माण वर्ष 1937 में हुआ था। यहां प्रधानाचार्या सहित तीन शिक्षक व 75-80 बच्चे अध्ययनरत हैं। विभागीय उदासीनता इतनी कि इस विद्यालय में महज एक ही कक्ष निर्मित है। जिसमे प्रधानाचार्या क साथ-साथ दो शिक्षक एक ही कक्ष में एक से पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। यहां बच्चों के लिए शौचालय भी नहीं है। जरूरत पड़ने पर छात्राओं व शिक्षिकाओं को ग्रामीणों के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ती है। शिक्षिकाओं ने अपने चंदे से मध्याह्न भोजन कक्ष का निर्माण कराया है। बैठने की समुचित व्यवस्था न होने के कारण कोई अभिभावक अपने बच्चे को यहां विभाग के तहत संचालित यह विद्यालय परिषदीय विभाग के किसी मानक को पूर्ण नहीं करता। ऐसे में अधिकारियों की उदासीनता सरकार के सर्व शिक्षा अभियान को धक्का पहुंचा रही है।


इस सम्बंध में सकलडीहा वीईओ अवधेश कुमार राय ने बताया कि मैंने सभी समस्याओं से समाज कल्याण व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत कराया है, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। बैठने के लिए डेस्क- बैंच व लिखने के लिए चॉक तक की कोई व्यवस्था नहीं है। वही चंद्रकला पांडेय, प्रधानाचार्य ग्राम प्रधान से विद्यालय की चहारदीवारी व शौचालय निर्माण को लेकर बात हुई है। उन्हें प्रस्ताव डालकर यथाशीघ्र निर्माण कराने को कहा गया है।

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