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सम्राट अशोक क्लब के तत्वाधान में मनाई गई सम्राट अशोक की जयंती, मुख्य अतिथि बनीं बनारस की जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या

अपने काल में जो अशोक चिन्ह निर्मित किया था उसका स्थान आज भी भारत के राष्ट्रीय चिन्ह में है। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद सर्वाधिक स्थान राजा अशोक और उनके धर्म कार्यों को ही दिया जाता है।
 

अहिकौरा गांव में सम्राट अशोक क्लब द्वारा आयोजन

पंचशील दीप प्रज्वलन से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

सम्राट अशोक के जीवन पर श्रवण कुशवाहा का प्रेरणादायक संबोधन

चंदौली के धानापुर क्षेत्र के अहिकौरा गाँव में सम्राट अशोक क्लब व सम्राट सेना के संयुक्त तत्वाधान में विश्व विजेता सम्राट अशोक महान कि जयंती मनाई गयी इस कार्यक्रम का शुभारम्भ पंचशील दीपक जलाकर किया गया।

samrat ashok jayanti

बताते चलें कि भाकपा माले नेता श्रवण कुशवाहा ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक का जन्म 304 ई.पू वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था। सम्राट बिन्दुसार के पुत्र और मौर्य वंश के तीसरे राजा के रूप में जाने जाते हैं। चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही उनका पोता भी काफी शक्तिशाली था। पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जन्म लेने के बाद उन्होंने अपने राज्य को पुरे अखंड भारतवर्ष में फैलाया और पुरे भारत पर एकछत्र राज किया। अशोक को अपने जीवन में बहुत से सौतेले भाइयों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। थोड़ा ही बड़ा होने के बाद अशोक की सैन्य कौशल देखने को मिलने लगी थी। उनके युद्ध कौशल को और अधिक निखार देने के लिए शाही प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी थी। इस प्रकार से अशोक को काफी कम आयु में तीरंदाजी के साथ अन्य जरुरी युद्ध कौशलो में काफी अच्छी महारत मिल चुकी थी। इसके साथ ही वे उच्च कोटि के शिकारी भी थे और उनके द्वारा एक छड़ी से शेर को मारने की कला का भी वर्णन मिलता है। 

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उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हे मौर्य शासन के अवन्ति में होने वाले दंगों को रोकने भी भेजा गया था। अपने समय के दो हजार वर्षो के बाद भी अशोक के राज्य के प्रभाव दक्षिण एशिया में देखने को मिलते है। अपने काल में जो अशोक चिन्ह निर्मित किया था उसका स्थान आज भी भारत के राष्ट्रीय चिन्ह में है। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध के बाद सर्वाधिक स्थान राजा अशोक और उनके धर्म कार्यों को ही दिया जाता है।

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मुख्य अतिथि वाराणसी कि जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सभी को एकत्रित होकर अपने बच्चों को पढ़ाने कि आवश्यकता है। समाज में व्याप्त बुराइयों को शिक्षा के रास्ते आगे बढ़ा सकते हैं ज्योतिबाराव फुले ने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को पढ़ाकर देश कि पहली महिला शिक्षिका बनाया था। जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता बाबा साहब भीम राव ने तीन मंत्र दिया है। शिक्षित बने, संगठित बने, और संघर्ष करें जिसके रास्ते पर चलकर ही आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने माताओं बहनों से विशेष अपील करते हुए कहा कि आधी रोटी खाये और बच्चों को जरूर पढ़ाये शिक्षा ही अंधकार को खत्म कर सकता है ।

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इस मौके पर मुख्य रूप से मुकेश मौर्या, अमित मौर्या, एडवोकेट सत्येंद्र बिंद, केपी राम,इंदु मेहता, अलाउद्दीन,अमित मौर्या, ललित नरायण, सुनीता बौद्ध, संतोष मौर्या, गणेश प्रसाद, गुलजार मौर्या, भुवनेश्वर, चन्द्रिका, सुरेश सहित अन्य लोग उपस्थित रहें कार्यक्रम कि अध्यक्षता गौरी शंकर व संचालन पप्पू राजा ने किया।

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