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कैथी गांव में शिव महापुराण की कथा, संत शशिकांत महाराज की कथा से भाव-विभोर हुए लोग

 योग का मतलब केवल कपाल भांति ही नहीं होता है। भगवान का सच्चे मन से भजन कीर्तन भी योग है। जब शादी करके महादेव कैलाश पर पहुँचे तो वहां माता पार्वती महादेव का जीवन बीत रहा था ।
 

शिव महापुराण की कथा सुनकर आनंदित हो रहे लोग

पांचवे दिन गणेश-कार्तिकेय जन्म सहित महादेव का कथा सुनायी

संत शशिकांत महाराज सुना रहे हैं शिव महापुराण की कथा

चंदौली जिले के कैथी गांव में जन कल्याण समिति के संयोजक अखिलेश कुमार त्रिपाठी, सह संयोजक अनिरुद्ध सिंह और समिति-ग्रामीणों के सानिध्य में शिव महापुराण कथा भव्य ढंग से चल रहा है । पांचवे दिन शनिवार की देर शाम को संत शशिकांत महाराज ने गणेश-कार्तिकेय जन्म सहित महादेव का कथा सुनायी ।
            
सर्वप्रथम व्यास पीठ पर जजमानों द्वारा आरती की गयी । संत शशिकांत महाराज ने कहा कि बच्चो के अंदर सत्कर्म करने की संस्कृति डाले । आगे चलकर यह बच्चा आपको कही गिरने नही देगा । आपने शिव पार्वती विवाह प्रसंग सुना । भोले नाथ का दूसरा नाम विश्वास है । जो शिव विश्वास है और पार्वती श्रद्धा  की देवी है । जिनके जीवन मे विश्वास और श्रद्धा हो निश्चित ही उनके घर मे गणेश और कार्तिकेय का अवतरण होगा । मन में सच्ची श्रद्धा के साथ महादेव की पूजन करें और विश्वास करें तो महादेव आपका कभी अहित नही होंने देंगे।

 shiv mahapuran katha

साथ में कहा कि योग का मतलब केवल कपाल भांति ही नहीं होता है। भगवान का सच्चे मन से भजन कीर्तन भी योग है। जब शादी करके महादेव कैलाश पर पहुँचे तो वहां माता पार्वती महादेव का जीवन बीत रहा था । इधर ताड़का सुर का उत्पात बहुत बढ़ गया । शादी के दस हजार वर्ष बाद महादेव का पता नही चला तो सभी देवता कैलाश पर पहुचकर महादेव का आह्वान करने लगे । तब महादेव बाहर आये । देवताओं ने महादेव से गुहार लगाये । तब महादेव के त्रिनेत्र से निकली ज्योति से शिव नन्दन का प्राकट्य जंगल मे हुआ । विश्वामित्र ने संस्कार किया । छह कृतिकाओं ने पाला पोसा । यही सडानन्द कार्तिकेय होते है । डमरू की आवाज सुनकर तैतीस कोटि देवी देवता प्रकट हो गये । महादेव ने सभी गणों को आदेश दिया कि कार्तिकेय को लेकर आओ । देव गण पहुँचे तो कृतिकाओं ने रोका तो बताया कि ये महादेव के पुत्र है । देव गण कार्तिकेय को लेकर कैलाश पर पहुँचे तो माता जगदम्बा ने गले से लगाया । इन्ही कृतिकाओं के नाम से शिवनंदन का नाम कार्तिकेय पड़ा ।

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इसके बाद महादेव ने ताड़का सुर का बद्ध करने के लिए आदेश दिया । ताड़का सुर का बद्ध हुआ । माता पार्वती की दो सखियां थी जया और विजया । माता पार्वती जया और विजया के साथ स्नान कर रही थी । महादेव पहुच गये । सखियां भाग खड़ी हुई । माता लज्जा से हांथ मलने लगी । महादेव बाहर निकल गये । जगदम्बा संकोच में हांथ मलती रही । मलते मलते गौरी नन्दन हुए । तब माता ने गौरी नन्दन को द्वार पर खड़ा कर दिये कि कोई अंदर न आये । महादेव ने सोचा पार्वती नहा ली होगी । पहुँचे तो दरवाजे पर गौरी नन्दन से युद्ध शुरू हो गया । महादेव के त्रिशूल से गौरी नन्दन का सिर कट गया । माता जगदम्बा ने तांडव मचा दिया । तब देवताओं ने आनन फानन में हांथी का सिर लगाया । महादेव ने सबसे पहले गले लगाया । यही गौरी नन्दन गणेश हुए । जो सभी गणों में श्रेष्ठ है । गणेश के जन्म पर सोहर गीत हुआ जो सभी महिलाये गीत गाते हुए डांस की ।

   इस दौरान समिति के अध्यक्ष गोबिंद मिश्रा गोलू,गिरिजेश तिवारी,दिलीप त्रिपाठी,सर्व जीत,अमन तिवारी,रमेश सिंह,ऋषभ सिंह,प्रवीण तिवारी,धीरज तिवारी,अशोक कुशवाहा,गोबिंद यादव,रितिक तिवारी,अमित पाण्डेय आदि उपस्थित रहे ।

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