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धानापुर में धूमधाम से मनाया गया पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले का जन्म दिवस

सावित्रीबाई फुले को समाज सेविका, नारी मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लेने वाली और देश की पहली अध्यापिका के रूप में जाना जाता है।
 

चंदौली जिले के धानापुर क्षेत्र के डबरिया गांव में सम्यक बुद्ध बिहार में भारत कि पहली महिला शिक्षिका  सावित्री बाई फुले का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। पहले के समय में दलितों और पिछड़ो शुद्रो को शिक्षा आदि से वंचित रखा जाता था लेकिन सावित्रीबाई फुले ने इन सब कुरीतियों से लड़कर अपनी पढ़ाई जारी रखी।

Savitri Bai Fule

समाज में छुआ-छूत का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इन सबसे हार न मानकर अपनी शिक्षा जारी रखी। इसके बाद उन्होंने अहमदनगर और पुणे में अध्यापक बनने की ट्रेनिंग पूरी की और बाद में पहली अध्यापिका बनीं।

इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सत्येंद्र मौर्य ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक गांव में हुआ था। उन्हीं को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। सावित्रीबाई फुले को समाज सेविका, नारी मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लेने वाली और देश की पहली अध्यापिका के रूप में जाना जाता है। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए भी लम्बी लड़ाई लड़ी और उनकी स्थिति में सुधार के लिए बहुत योगदान दिया है।

Savitri Bai Fule

वरिष्ठ नेता हेमंत कुशवाहा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले जब 9 वर्ष की थीं तब उनका विवाह कर दिया गया। उनका विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हुआ था , विवाह के समय उनकी आयु 13 वर्ष थी। अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 1848 में पहला महिला स्कूल खोला। इसके बाद उन्होंने देशभर में कई अन्य महिला विद्यालयों को खोलने में मदद की। उनके इस कार्य के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें सम्मानित किया था।
इस कार्यक्रम में गरीबो को कम्बल का वितरण गणेश प्रसाद जिला पंचायत सदस्य के द्वारा किया गया।

Savitri Bai Fule

इस मौके पर मुख्य रूप से अंगद प्रधान, डॉ हँसलाल, भंते बुद्ध हंस, भंते बुद्ध ज्योति, पारस नाथ कुशवाहा, गणेश प्रसाद, प्रदुम सिंह, सुखराज मौर्य, डॉ चन्द्रिका, प्रेमचंद मौर्य, डॉ रामाशीष यादव, स्व बाबूलाल लोहार, लालता कन्नौजिया,शैल मौर्या, गीता देवी,श्रवण कुशवाहा, पप्पू राजा सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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