सीएए का विरोध कर रहे हैं विरोधी दल के लोग, भाकपा माले राज्य कमेटी के सदस्य शशिकांत सिंह ने दिया ज्ञापन
चंदौली जिले में भाकपा माले के राष्ट्रीय आह्वान पर 7 सदस्य प्रतिनिधिमंडल द्वारा आज सकलडीहा उप जिलाधिकारी से मिलकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा गया।
भाकपा माले कर रहा है विरोध प्रदर्शन
सकलडीहा उप जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
राष्ट्रपति के नाम लिखा गया है ज्ञापन
इस दौरान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य शशिकांत सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की अधिसूचना 11 मार्च 2024 को जारी क्यो कि गई। क्योकि लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर सीएए को लागू किया जाना गहरी साजिश का संकेत है। यह कानून साम्प्रदायिक, भेदभाव पूर्ण व विभाजनकारी है।
उन्होने बताया कि यह कानून सिर्फ छह धर्म के मतावलंबियों - हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन व पारसी को, जो 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से भारत आये हैं, और छह साल से यहां रह रहे हैं, नागरिकता देने की बात करता है। यह कानून मुस्लिम, तमिल, रोहिंग्या, अहमदिया आदि शरणार्थियों को नागरिकता देने से वंचित करता है।
1955 का नागरिकता कानून धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात नहीं करता है। इसलिए सीएए असंवैधानिक है। यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को तोड़ता है। सीएए के बाद भाजपा सरकार एनआरसी लाएगी, जैसा कि गृह मंत्री अमित शाह के कई भाषणों से यह स्पष्ट हुआ है। एनआरसी के जरिये मुसलमानों की नागरिकता, दस्तावेज न होने पर, छीनी जाएगी। दस्तावेज न होने पर गरीब, मजदूर व आदिवासी भी घुसपैठिया करार देकर बाहर खदेड़े जाएंगे।
उन्होने कहा कि सीएए ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। यह देश को बांटने वाला कानून है। इसलिए हम सीएए का पुरजोर विरोध करते हैं और इसे रद्द करने की मांग करते हैं।
प्रतिनिधि मंडल में कामरेड शशिकांत सिंह, कामरेड कृष्णा राय, रमेश राय, उमानाथ चौहान, श्याम देई, तेजू राय, राजेश गिरी शामिल रहे।
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