सकलडीहा तहसील के बिसुंधरी ग्रामसभा में दिखी सर्फेस सीडर मशीन, जानिए इसके फायदे

सर्फेस सीडर मशीन से गेहूं की बुआई
किसानों के लिए लाभकारी है ये तकनीक
कई समस्याओं का कर देगी पल में समाधान
चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील के बिसुंधरी ग्रामसभा में आई. टी. सी. चौपाल सागर द्वारा सर्फेस सीडर मशीन से गेहूं की बुआई कराई गई। यह मशीन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई है और इसके जरिए खेतों में बुआई की प्रक्रिया को अधिक सटीक और सुविधाजनक बनाया जा सकता है। इस मशीन के माध्यम से बुआई की प्रक्रिया के लाभों को बढ़ावा देने के लिए आई.टी.सी. ने एक फील्ड डे कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम के दौरान प्रमुख कृषि विशेषज्ञों और अधिकारियों ने उपस्थित किसानों को सर्फेस सीडर मशीन से गेहूं की बुआई की विधि के बारे में विस्तार से बताया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. जे. पी. टंडन (रिटायर्ड ए.डी.जी. एवं पूर्व निदेशक, करनाल), डॉ. विक्रांत सिंह (डी.डब्ल्यू.डी., जॉइंट डारेक्टर), डॉ. यू. पी. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक, बी.एच.यू.), डॉ. विनोद यादव (कृषि जिला अधिकारी, चंदौली) और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर 70 से 80 किसानों ने भाग लिया और इस नई तकनीक के लाभों के बारे में जाना।

सर्फेस सीडर मशीन से गेहूं की बुआई में खेत की पहले से तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होती है। साथ ही, इस विधि से पराली जलाने की समस्या का समाधान होता है, क्योंकि पराली को खेत में ही बिछाकर जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इस तकनीक से खरपतवार की समस्या में भी 80-90 प्रतिशत तक कमी आती है, और बुआई का समय 10 से 15 दिन तक कम हो जाता है।
इस तकनीक के जरिए किसानों को न केवल बुआई की प्रक्रिया में आसानी मिलती है, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ होता है। यह सस्टेनेबल खेती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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