ओवरलोड से बार-बार गिरता है ट्रांसफॉर्मर के सर्किट ब्रेकर, जान जोखिम में डालकर लोग चलाते हैं लाइन
कैबिनेट मंत्री का फरमान भी फेल
सौ की जगह ढाई सौ का लगना ट्रांसफार्मर
लगाने का दिया था आश्वासन
केंद्रीय मंत्री का फरमान भी नहीं सुन रहे हैं बिजली विभाग अधिकारी
चंदौली जिले के चहनियां बाजार में लगा 100 केवीए का ट्रांसफार्मर का सर्किट ब्रेकर चौबीस घण्टे में कई बार गिरने से अक्सर बाजार में अंधेरा छाया रहता है। कोई भी कर्मचारी इसे बार बार उठाने के लिए तैयार नहीं होता है, जिससे स्थानीय लोग ही जाकर चलती सप्लाई में सर्किट ब्रेकर उठाने का काम कर रहे हैं। जिससे कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है।
आलम यह कि जेई व स्थानीय कर्मचारी स्थानीय लोगों से बात भी नहीं सुनते न ही किस का फोन उठाते हैं, जितनी बार भी उनके कर्मचारी आते हैं, उन्हें कुछ न शुल्क देना पड़ता है। जबकि केंद्रीय मंत्री ने कस्बे में 250 केवीए का ट्रांसफार्मर लगाने के लिए एक्सीयन को आदेशित कर दिया है। लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी केंद्रीय मंत्री का आदेश भी अधिकारी मानने को तैयार नहीं हैं ।
इस बारे में प्रधानपति सतीश गुप्ता ने बताया कि चहनियां बाजार में सकलडीहा मार्ग पर लगा सौ केवीए का ट्रांसफार्मर में सर्किट ब्रेकर लगा है, जो दिन व रात में कई बार गिर जाता है। कोई भी कर्मचारी एक या दो बार ही उसे ठीक करने जाता है। उसके बाद उसे कस्बे के लोग चलती बिजली की सप्लाई में बांस के डंडे से बार-बार ट्रांसफार्मर के सर्किट ब्रेकर उठाने का काम करते हैं। यह कभी भी दुर्घटना का बड़ा कारण हो सकता है।
यह समस्या पिछले कई वर्ष से उत्पन्न हुई है। जिसे कर्मचारियों ने केबिल बदलने के बाद सही किया जिससे यह कुछ दिनों सकुशल सप्लाई संचालित रही, लेकिन विगत कुछ महीनों से यह पुन अपने पुराने डरे पर चलना प्रारम्भ कर दिया है। वहीं इसके लिए बाजार के कुछ सम्मानित लोगों ने सांसद महेन्द्र नाथ पाण्डेय से अपनी बाजार की समस्याओं से अवगत कराया, जिसमें बिजली की इस समस्या को बताया गया था कि जिसके बाद कस्बा में सौ के जगह ढाई सौ के ट्रांसफार्मर लगाने के लिए दिल्ली केंद्रीय मंत्री माननीय डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय से मिलकर प्रार्थना पत्र देते हुए अवगत कराया था। जिस पर तत्काल एक्सीयन से वार्ता कर ट्रांसफार्मर लगाने के लिए आदेशित किया था, किन्तु एक माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुयी हैं। कस्बा के लोग गर्मी से परेशान रहते हैं। कई बार शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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