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13,000 किसानों को ₹5.29 करोड़ का मुआवाजा बांटने का दावा कर रहा है जिला प्रशासन

अब तक जिले में 16,035 किसानों को नुकसानग्रस्त घोषित किया गया है, जिनमें से 13,000 किसानों को ₹5.29 करोड़ की क्षतिपूर्ति दी जा चुकी है। शेष तीन हजार किसान अभी भी राहत राशि की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
 

चंदौली में बाढ़ से खेती में हुयी है भारी तबाही

जिले के 16,035 किसानों का हुआ है नुकसान

अब तक 13 हजार किसानों को मिली राहत राशि

राहत पैकेज के बजट की फाइल आयुक्त के यहां है अटकी 

चंदौली जिले में हाल ही में हुई भारी वर्षा और बांधों से छोड़े गए अतिरिक्त पानी के कारण गड़ई, चंद्रप्रभा और कर्मनाशा नदियों में उफान आ गया, जिससे लगभग छह हजार हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई। इस प्राकृतिक आपदा ने जिले की 90 प्रतिशत कृषि आधारित आबादी को गहरा नुकसान पहुंचाया।

बाढ़ के कारण दो हजार से अधिक परिवारों को अपने घर छोड़ने पड़े। धान की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं, जिससे किसानों के सामने भोजन और आजीविका का संकट खड़ा हो गया। चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन इस बार किसानों की मेहनत पानी में बह गई।

प्रशासनिक स्तर पर राहत कार्यों में लापरवाही सामने आई है। तहसील स्तर पर सर्वे कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है, जिससे कई प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति नहीं मिल सकी है। रिपोर्टों के अनुसार, 33 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर ही मुआवजा देने का प्रावधान है, लेकिन कई किसानों को भारी नुकसान के बावजूद लाभ नहीं मिल पाया है। स्थानीय कर्मचारी रिपोर्ट तैयार करने में मनमानी कर रहे हैं, जिससे वास्तविक स्थिति का आंकलन प्रभावित हो रहा है।

आयुक्त को राहत पैकेज के लिए भेज रखा है पत्र 
अब तक जिले में 16,035 किसानों को नुकसानग्रस्त घोषित किया गया है, जिनमें से 13,000 किसानों को ₹5.29 करोड़ की क्षतिपूर्ति दी जा चुकी है। शेष तीन हजार किसान अभी भी राहत राशि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने किसानों की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त को राहत पैकेज के लिए पत्र भेजा है।

यह संकट न केवल प्राकृतिक आपदा का परिणाम है, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती और व्यवस्था की कमजोरी को भी उजागर करता है। किसानों को समय पर सहायता और पारदर्शी प्रक्रिया की आवश्यकता है, ताकि वे फिर से अपने जीवन को पटरी पर ला सकें।

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