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गंगा में गिरता है रेलवे व मुगलसराय का 29 एमएलडी सीवेज, आ गयी है NGT की नोटिस

नगरपालिका के अधिशाषी अभियंता कृष्णचंद्र का कहना है कि गंगा में गिर रहे सीवेज को रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया जाना है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण के लिए लगभग चार करोड़ रुपये के धनराशि की आवश्यकता है।
 

 राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने लिया है संज्ञान

पंचायती राज अधिकारी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा

अधिशाषी अभियंता कृष्णचंद्र का ऐसा है दावा

चंदौली जिले की गंदगी गंगा नदी में गिरायी जा रही है। इसको लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने चंदौली में गंगा में गिर रहे सीवेज को लेकर पंचायती राज अधिकारी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। गंगा में रोजाना नगर पालिका पीडीडीयू नगर और रेलवे का 29 एमएलडी सीवेज गिरता है। बस जहां सीवर गिरता है वह गंगा से सटा हुआ ग्रामीण क्षेत्र है। पंचायती राज अधिकारी का कहना है कि ग्राम पंचायत के पास इतने पैसे नहीं कि वह उपकरण विकसित कर सके।

पीडीडीयू नगर में जिले की सबसे सघन और शहरी आबादी निवास करती है। इसके साथ ही यहां देश का प्रमुख रेलवे स्टेशन पीडीडीयू जंक्शन भी है। नगर पालिका क्षेत्र में 25 वार्डों और 19 रेलवे की बड़ी कॉलोनियां है। इनसे हर रोज 29 एमएलडी सीवेज तीन नालों के माध्यम से रौना गांव के पास सीधे गंगा नदी में गिरता है। इसे आसान शब्दों में समझे तो एक एमएलडी में दस लाख लीटर होते है। ऐसे में 29 एमएलडी का मतलब प्रति दिन दो करोड़ 90 लाख लीटर सीवेज गंगा नदी में रोजाना गिरकर उसे मैला कर रहा है। सीवर जहां गंगा में जाकर गिरता है वह ग्रामीण क्षेत्र है। गंगा में गिर रहे सीवर के मामले में एनजीटी ने 2022 में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में रामनगर औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले औद्योगिक अपशिष्टों के लिए अलग नाले का निर्माण कराने की सिफारिश की थी साथ ही रिपोर्ट में चंदौली के जिला पंचायती राज्य अधिकारी से नगर पालिका क्षेत्र से निकलने वाले सीवर के पानी के उचार के लिए एक प्रणाली विकास करने की बता कही थी। एनजीटी ने सोमवार को नोटिस जारी कर दोनों पक्षों से जवाब मांगा है।

भूमि की समस्या से नहीं बन रही एसटीपी
नगर पालिका क्षेत्र के सीवेज को सीधे गंगा नदी में गिरने से रोकने के लिए तीन साल पहले 277 करोड़ रुपये की लागत से 37 एमएलडी क्षमता का एसटीपी निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया था। काफी दिनों तक मामला जमीन नहीं मिलने के कारण अधर में लटका रहा है। नगर पालिका भी काफी प्रयास के बाद जमीन नहीं ढूंढ पायी। बाद में राजस्व विभाग ने रौना गांव में दो हेक्टेयर जमीन ढूंढ भी निकाली लेकिन अब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाया है। अधिकारियों के अनुसार जमीन अधिग्रहण के लिए पांच सदस्यीय कमेटी ने किसानों को जमीन देने के लिए राजी कर लिया है। यहां तक कि जमीन अधिग्रहण के लिए मुआवजे की राशि भी तय कर ली गई है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजकर बजट की मांग की है।

इस तरह पल्ला झाड़ रहे डीपीआरओ
चंदौली जिले के जिला पंचायती राज अधिकारी ब्रह्मचारी दुबे का कहना है कि गंगा में गिर रहा पूरा सीवर नगर पालिका क्षेत्र और रेलवे का है। बस जहां गंगा में सीवर गिरता है। वह गांव से सटा है। ऐसे में निस्तारण वहीं से होना चाहिए, जहां का सीवर गिर रहा है। दूसरी बात नगर पंचायत के पास इतने पैसे नहीं कि किसी प्लांट या उपकरण को विकसित कर सके। इसके लिए प्रशासन की ओर से वहां एसटीपी भी प्रस्तावित है।

नगरपालिका का दावा
नगरपालिका के अधिशाषी अभियंता कृष्णचंद्र का कहना है कि गंगा में गिर रहे सीवेज को रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया जाना है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण के लिए लगभग चार करोड़ रुपये के धनराशि की आवश्यकता है। जिसकी मांग जिलाधिकारी से जरिये शासन को पत्र भेजकर की गई है। धन मिलते ही जमीन अधिग्रहित कर ली जाएगी। सीवेज को साफ करने के लिए हर महीने बायोरेमिडेशन डाला जाता है। इसके अलावा दो स्थानों पर जाल लगाए गए हैं ताकि कचरा सीधे गंगा में न गिरे।

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