चंदौली में आयुर्वेदिक चिकित्सा को नया आयाम, 6 नए चिकित्सालयों का निर्माण जल्द शुरू

नए राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों का होगा निर्माण
उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड को मिली जिम्मेदारी
अस्पतालों के निर्माण पर लगभग 8.50 करोड़ रुपये की लागत
चंदौली जिले में आयुर्वेदिक चिकित्सा व्यवस्था को मजबूती देने के लिए शासन ने एक बड़ी और सराहनीय पहल की है। जिले में छह नए राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों का निर्माण कराया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी। इस योजना में सकलडीहा तहसील के धरहरा गांव में 50 बेड का अत्याधुनिक आयुष अस्पताल भी शामिल है, जो इस क्षेत्र में आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

इन सभी अस्पतालों के निर्माण पर लगभग 8.50 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। शासन से स्वीकृति प्राप्त होने के बाद सभी स्थलों पर भूमि चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अस्पतालों के निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को सौंपी गई है, और निर्माण कार्य शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा।

प्रत्येक चिकित्सालय में डॉक्टर कक्ष, ओपीडी, दवा स्टोर, शौचालय, मरीज वार्ड और प्रयोगशाला जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। हर अस्पताल में पांच मरीजों को भर्ती करने की सुविधा होगी और रक्त जांच के लिए प्रयोगशाला की भी स्थापना की जाएगी, जिससे मरीजों को जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मरीजों को मात्र एक रुपये में पर्चा बनवाकर सभी सेवाएं निःशुल्क मिलेंगी।
वर्तमान में जिले के 30 राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में रोजाना करीब 2700 मरीज ओपीडी में आते हैं, लेकिन वहां भर्ती और जांच की सुविधाएं नहीं हैं। नए अस्पतालों के निर्माण से यह कमी दूर हो जाएगी और मरीजों को आयुर्वेदिक चिकित्सा का पूरा लाभ मिल सकेगा।
शासन ने जिन छह स्थानों पर नए चिकित्सालयों की स्वीकृति दी है, वे हैं - धरहरा (50 बेड आयुष अस्पताल), ओवरचक, चिरईगांव, रामगढ़, मठपुरवा और भटवारा खुर्द। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, इन अस्पतालों के शुरू हो जाने से करीब 2.50 लाख की आबादी को लाभ मिलेगा। इसके साथ ही योग और प्राकृतिक चिकित्सा को जनमानस से जोड़ने का भी अवसर मिलेगा।
इस परियोजना से जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को नई मजबूती मिलेगी और आयुर्वेद को गांव-गांव तक पहुंचाने का रास्ता खुलेगा। यह कदम परंपरागत भारतीय चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करने और जनसामान्य को सुलभ स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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