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मानसून सीजन में लगेंगे 62 लाख पौधे, हरित चंदौली का सपना होगा पूरा

हालांकि अब तक के अनुभव बताते हैं कि प्रतिवर्ष रोपे जाने वाले पौधों में से लगभग 50 प्रतिशत संरक्षण के अभाव में सूख जाते हैं। पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और अन्य विभागों की उदासीनता इसके पीछे प्रमुख कारण माने जाते हैं।
 

चंदौली जिले को मिला है 62 लाख पौधे लगाने का टारगेट

इन जगहों पर पौधों को लगाने का प्लान

हर विभाग को करना है सहयोग

चंदौली जिले में हर साल की तरह इस साल भी शासन के निर्देश पर इस बार मानसून सीजन के दौरान लाखों पौधे रोपे जायेंगे। इस साल जिले में  62,08,920 पौधे लगाए जाएंगे। इस वृहद पौधारोपण अभियान की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिलाधिकारी ने मीटिंग करके हर विभाग को सहयोग के लिए तैयार रहने को कहा है। 

इसमें विभिन्न विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, जबकि सबसे बड़ा लक्ष्य वन विभाग को दिया गया है, जिसे अकेले 36,40,600 पौधे लगाने हैं। इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिले की नर्सरियों में सागौन, शीशम, अमरूद, आम, जामुन, नीम सहित विभिन्न प्रजातियों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार अब तक 55 लाख से अधिक पौधे तैयार हो चुके हैं।

बताते चलें कि हर साल सरकार की ओर से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए मानसून में पौधारोपण अभियान चलाया जाता है। गांवों में स्कूल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पौधे लगाए जाते हैं। वहीं वन विभाग अपनी ओर से वनों में बड़े पैमाने पर रोपड़ कराता है। इस बार भी गड्ढा खोदने से लेकर पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तक की प्रक्रिया पहले से शुरू कर दी गई है।

हालांकि अब तक के अनुभव बताते हैं कि प्रतिवर्ष रोपे जाने वाले पौधों में से लगभग 50 प्रतिशत संरक्षण के अभाव में सूख जाते हैं। पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और अन्य विभागों की उदासीनता इसके पीछे प्रमुख कारण माने जाते हैं। शासन ने इस बार सभी संबंधित विभागों को यह निर्देश दिया है कि अभियान को पूरी तरह सफल बनाने के लिए पौधों का संरक्षण अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए।

वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि जिले की चकिया, नौगढ़, जयमोहनी, मुबारकपुर समेत अन्य नर्सरियों में पौध तैयार किए जा रहे हैं, जिससे समय पर रोपण के लिए पर्याप्त संख्या में पौधे उपलब्ध हो सकें। इस बार का अभियान पूर्व वर्षों की तुलना में अधिक व्यवस्थित और व्यापक होगा, ताकि जिले को अधिक हरित और पर्यावरण संतुलन की दिशा में मजबूत बनाया जा सके।

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