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चंदौली जिले में कुपोषित हैं 5586 बच्चे, इन पर दिया जा रहा है खास ध्यान

जिले में 2021 से अब तक करीब 1.93 लाख बच्चों को चार्ट के माध्यम से निगरानी की गई है। इसमें 5586 कुपोषित बच्चे चिह्नित हुए हैं। उन्हें पौष्टिक आहार भी दिया गया।
 

आंगनबाड़ी केंद्रों पर ग्रोथ चार्ट के जरिए निगरानी

कुपोषित बच्चों को अधिक पौष्टिक आहार

आहार चार्ट का नियमित पालन जरुरी

चंदौली जिले में कुपोषण रोकने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर ग्रोथ चार्ट के जरिए बच्चों की निगरानी की जा रही है। इसमें बच्चों की लंबाई, चौड़ाई, वजन सहित सभी विवरण विस्तार से हर महीने दर्ज किए जा रहे हैं। जिले में 2021 से अब तक 1.93 लाख बच्चों का चार्ट तैयार किया गया है। इसमें 5586 कुपोषित बच्चे मिले हैं। इन बच्चों को चार्ट के माध्यम से पौष्टिक आहार दिए जाएंगे, ताकि यह कुपोषण से मुक्त हो सकें।

इस बारे में जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी जया त्रिपाठी बताया कि सरकार ने कुपोषण से निपटने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दी है। इससे केंद्रों पर आ रहे बच्चों व घर-घर भ्रमण कर बच्चों का चार्ट बनाकर निगरानी की जा रही है। चार्ट के माध्यम से कुपोषित बच्चों को अधिक पौष्टिक आहार दिए जाने का प्राविधान है। इसके कुछ दिन बाद यह भी देखा जा रहा है कि बच्चे में क्या सुधार हो रहा है। 

जिले में 2021 से अब तक करीब 1.93 लाख बच्चों को चार्ट के माध्यम से निगरानी की गई है। इसमें 5586 कुपोषित बच्चे चिह्नित हुए हैं। उन्हें पौष्टिक आहार भी दिया गया। वह सभी बच्चे आज स्वस्थ हैं। करीब दो लाख बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र की निगरानी में हैं। 

बाल विकास परियोजना अधिकारी राम प्रकाश मौर्या  का कहना है कि बच्चे के विकास के लिए पौष्टिक आहार बहुत ही महत्वपूर्ण है। जन्म के छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान और उसके बाद स्तनपान के साथ पौष्टिक आहार ही देना चाहिए। बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट आदि पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार भी देना चाहिए। 

Children Growth

उन्होंने कहा कि कुपोषण के कई प्रकार के लक्षण होते हैं। हर समय बच्चे को थकान महसूस होना, ऊर्जा की कमी होना, संक्रमणों से उबरने में लंबा समय लेना, घाव भरने में देरी, चिड़चिड़ापन, लगातार दस्त होना आदि लक्षण होते हैं। इससे बचने के लिए नियमित अंतराल पर पौष्टिक भोजन का सेवन, बच्चे के लिए संतुलित आहार सुनिश्चित करना, डाक्टर की निगरानी में रखना, आहार चार्ट का पालन नियमित करना चाहिए।

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