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मनोज वर्मा ने नौकरी पाने के लिए बनवाया फर्जी जाति प्रमाणपत्र, अब जाएगी नौकरी, होगी सजा..!

मूलरूप से चंदौली जिले के चकिया तहसील के गरला गांव के रहने वाले मनोज वर्मा ने तथ्यों को छिपाकर सोनभद्र जिले की सदर तहसील से जारी कराए गए अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र को जिला स्तरीय समिति ने निरस्त कर दिया है। स्क्रूटनी के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि मनोज वर्मा नाम के जिस व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी हुआ है, वह मूल रूप से पिछड़ी जाति का है
 

उसके पिता के सर्विस बुक में भी पिछड़ी जाति का ही उल्लेख है

सोनभद्र व चंदौली के डीएम ने की थी जाति की जांच
 

मूलरूप से चंदौली जिले के चकिया तहसील के गरला गांव के रहने वाले मनोज वर्मा ने तथ्यों को छिपाकर सोनभद्र जिले की सदर तहसील से जारी कराए गए अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र को जिला स्तरीय समिति ने निरस्त कर दिया है। स्क्रूटनी के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि मनोज वर्मा नाम के जिस व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी हुआ है, वह मूल रूप से पिछड़ी जाति का है। उसके पिता और नाना की भी यही जाति है।  मनोज वर्तमान में बीएचयू के समाजशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं।

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अब सोनभद्र में जिला स्तरीय समिति के इस आदेश के बाद उनकी नियुक्ति को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।  चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील अंतर्गत चर्तुभुजपुर गांव निवासी अनंत नारायण मिश्र ने शिकायत किया था कि सदर तहसील के वैनी गांव निवासी मनोज कुमार वर्मा ने तथ्यों को छिपाकर खरवार (अनुसूचित जनजाति) का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है, जबकि वह मूल रूप से कहार (पिछड़ी जाति) का है।


उसके पिता के सर्विस बुक में भी पिछड़ी जाति का ही उल्लेख है। उसका मूल निवास चंदौली जिले के चकिया तहसील अंतर्गत गरला गांव है। शिकायत पर डीएम की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर इसकी जांच के निर्देश दिए गए थे। समिति ने मनोज वर्मा के पिता और नाना की जाति का सत्यापन किया। दोनों की जाति कहार पाई गई।

गरला ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर की नकल में भी मनोज के नाम और उसकी जाति कहार पिछड़ी होने का उल्लेख था। कई पहलुओं पर पड़ताल के बाद डीएम की अध्यक्षता वाली समिति ने वर्ष 2009 में सदर तहसील से जारी उसका अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश 21 अप्रैल 2022 को जारी किया है।

इस बाबत समिति के सदस्य सदर एसडीएम राजेश सिंह ने बताया कि किसी भी व्यक्ति की जाति उसके पिता से तय होती है। इस मामले में मनोज वर्मा के पिता की जाति सर्विस बुक में पिछड़ा होना अंकित है। उसके नाना की भी जाति पिछड़ी है। सभी तथ्यों की जांच के बाद प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है।

मनोज वर्मा के अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र लगाने के मामले में जिलाधिकारी सोनभद्र की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति की संस्तुति के बाद जो आदेश किया गया है, वह पत्र सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है। हालांकि इस बारे में जब समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज वर्मा से बात करने की कोशिश की गई तो उनके फोन की घंटी बजती रही लेकिन फोन नहीं उठा।

सोनभद्र व चंदौली के डीएम ने की थी जाति की जांच
इस मामले में डीएम सोनभद्र व डीएम चंदौली ने इसकी विस्तृत जांच की व जांच में पाया कि मनोज कुमार वर्मा सहायक प्रोफ़ेसर बीएचयू जाति से कहार हैं वह पिछड़ी जाति में आते हैं। मनोजकुमार वर्मा के पिता कन्हैया प्रसाद जो जिला सहकारी बैंक मिर्जापुर में परिचारक के पद से रिटायर हुए जिनकी ड्यूटी रिकॉर्ड में जाति कहार पाया गया, जो पिछड़ी जाति में आता है। मनोज कुमार वर्मा के पिता कन्हैया प्रसाद की सेवा पुस्तिका का ग्रेडेशन लिस्ट में भी कहार जाति का होना पाया गया है। साथ ही सहायक विकास अधिकारी चकिया चंदौली की जांच रिपोर्ट में भी मनोज कुमार वर्मा उनका परिवार कहार जाति में होना पाया गया।

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