बबुरी के किसी पंडित के पास है काली वाली स्कॉर्पियो, जल्द होगी बरामद
नेताजी ने कुछ महीने पहले बेंच दी थी गाड़ी
परिचित ही कर रहे थे इस्तेमाल
बिना काम पूरा किए भुगतान को लेकर बढ़ा यह मामला
कंपनी की भी होनी चाहिए जांच
चंदौली जिले में आईओएन एक्सचेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ की गई मारपीट की घटना में भले ही मुगलसराय कोतवाली पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान कर कुछ की गिरफ्तारी सुनिश्चित की है, लेकिन अभी फरार लोगों की तलाश जारी है और पुलिस ने अभी तक उस काले रंग के स्कार्पिओ को भी बरामद नहीं किया है, जिसमें विधायक का स्टीकर लगा हुआ था।
ऐसी चर्चा है कि यह गाड़ी भारतीय जनता पार्टी के विधायक की ही है, जिसे उन्होंने कुछ महीने पहले किसी परिचित को दे दिया था या बेंच दिया था। इसी गाड़ी का इस्तेमाल उनके ही परिचितों के द्वारा किया जा रहा है। हालांकि मुगलसराय कोतवाली पुलिस ने अभी तक उस काले रंग की स्कॉर्पियो को बरामद करने में सफलता नहीं हासिल की है, लेकिन यह गाड़ी किसी बबुरी के रहने वाले किसी व्यक्ति के पास होने की सूचना मिली है। इसीलिए पुलिस अपने हिसाब से जांच पड़ताल और कार्यवाही कर रही है।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि जल्द ही गाड़ी को भी बरामद कर लिया जाएगा और इस मामले में शामिल 2 से 3 अन्य लोगों की भी शिनाख्त कर दी जाएगी। अभी तक मिली जानकारी के हिसाब से पूरा मामला ठेकेदारी और भुगतान के विवाद से जुड़ा हुआ है।
जिले में जल शक्ति मिशन के तहत कार्य करने के लिए आईओएन एक्सचेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका मिला था और इस कंपनी ने इलाके में कई छोटे-छोटे ठेकेदारों को काम सौंपकर परियोजना को पूरा करने का सिलसिला शुरू किया था। लेकिन कई ठेकेदार काम पूरा हुए बगैर भुगतान का दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। इसी के चलते यह विवाद हुआ है। जिन ठेकेदारों को इस परियोजना में जमीनी स्तर पर काम करने का मौका मिला है, उनको भारतीय जनता पार्टी के सत्ता पक्ष के नेताओं का वरदहस्त और संरक्षण प्राप्त है और यह नेता के साथ अक्सर घूमते फिरते देखे जाते हैं। ऐसे में कंपनी के अधिकारी सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी के उस नेता का नाम तो नहीं ले रहे हैं, लेकिन पूरे इलाके में इस बात की चर्चा है कि बिना काम के भुगतान कराने की कोशिश के चलते यह पूरा मामला गरमा गया है।
इस परियोजना के कार्य पर भी सवाल उठने लगा है। साथ ही साथ इस बात का भी पता लगाए जाने की जरूरत शुरू हो गयी है कि जब सरकार ने ठेका आईओएन एक्सचेंज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को दिया था तो उसने किस आधार पर अपने ठेके को किसी और को दे दिया है और क्यों पेटी ठेकेदारों के जरिए काम कराने की कोशिश की जा रही है।
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