चंदौली के SP अंकुर अग्रवाल हाईकोर्ट में तलब, 19 दिसंबर को पेश होने का आदेश
कांशीराम शहरी आवास योजना से जुड़ा है मामला
घोटाले में दर्ज मुकदमे में 9 साल से लंबित है विवेचना
पुलिस के रवैए से नाराज न्यायमूर्ति ने दिया आदेश
जल्द ही जिलाधिकारी के खिलाफ अवमानना की आ सकती है नोटिस
चंदौली जिले के पुलिस कप्तान अंकुर अग्रवाल को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2022 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश जारी किया है। जिले में कांशीराम शहरी आवास योजना में हुए घोटाले को लेकर दाखिल क्रिमिनल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चंदौली जिले के एसपी अंकुर अग्रवाल को 19 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने मामले में पुलिस के द्वारा दर्ज की गयी एफआईआर व हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सही तरीके से कार्रवाई न करने के कारण फटकार लगाते हुए पेश होने के लिए कहा है। चंदौली कोतवाली में 9 साल पहले दर्ज केस में सही तरीके से विवेचना न करते हुए न तो सारे अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी और न ही केस में सही तरीके से विवेचना की जा रही है।

आपको बता दें कि चंदौली जिले के चंद्र मोहन सिंह ने कांशीराम शहरी आवास योजना में हुए घोटाले में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 17 दिसंबर 2021 को एक जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील के जवाब से संतुष्ट न होने के बाद चीफ जस्टिस राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर ने यह फैसला सुनाया है।
चंद्रमोहन सिंह द्वारा ही दाखिल एक अन्य सिविल जनहित याचिका में चीफ जस्टिस कोर्ट ने मार्च 2022 में आदेश जारी किया था कि आवंटन घोटाले में संलिप्त अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच कर दण्डित किया जाए और 40 खाली आवासों का नए सिरे से आवंटन किया जाए, लेकिन 9 माह बाद भी मामले में चंदौली के जिलाधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। अब चंदौली की जिलाधिकारी पर भी हाईकोर्ट के अवमानना की शिकायत की जा रही है।
आपको याद होगा कि तहसील और नगर पंचायत की मिलीभगत से हुए इस खेल में जब कोई कार्यवाही नहीं होती दिखी तो वादी चंद्रमोहन सिंह उर्फ भोदू सिंह ने इस मामले को न्यायालय में ले जाने की पहल की और इस फर्जीवाड़े के खिलाफ चंदौली कोतवाली में सन 2013 में मुकदमा दर्ज कराया। 2013 में दर्ज इस मुकदमे में अपराध संख्या 100/13 दर्ज करते हुए मामले में आरोपियों के ऊपर धारा 419, 420, 467, 468 दर्ज की गई, लेकिन इस मामले में कार्रवाई के बजाय बार-बार पुलिस के द्वारा इस पर गलत तरीके से फाइनल रिपोर्ट लगा कर मामले को रफा-दफा किया जाता रहा और अभियुक्तों को बचाया भी जाता रहा। क्राइम ब्रांच को जांच मिली तो कुछ गरीबों को जेल भेजकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की गयी। किसी भी बड़े व जिम्मेदार लोगों पर हाथ नहीं डाला गया।
आपको बता दें कि कांशीराम आवास योजना के तहत विधवाओं, विकलांगों, गरीबों, बेसहारा लोगों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह आवाज बनवाए गए थे। लेकिन चंदौली नगर पंचायत के तत्कालीन चेयरमैन सुदर्शन सिंह, वरिष्ठ लिपिक अनिल श्रीवास्तव, रमेश तिवारी, श्री प्रकाश मिश्रा, हरिद्वार तिवारी के साथ-साथ लगभग 20 सभासदों और चंदौली जिले की सदर तहसील के नायब तहसीलदार सुनील बरनवाल, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद व हल्का लेखपालों की मिलीभगत से अवैध तरीके से फर्जी व कूट रचित कागजात तैयार करके आवास के आवंटन फर्जी तरीके से किए गए। जिन लोगों को इन आवासों का आवंटन किया गया उनके आय, निवास तथा अन्य प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए थे। उनकी ईमानदारी से जांच पड़ताल भी नहीं की गई। अगर इसकी जांच होती तो उनको आवंटन नहीं किया जा सकता था।
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