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गेहूं की सिंचाई के पीक आवर में चंद्रप्रभा बांध हुआ बे-पानी, बरसात के बाद रिसता रहा पानी

जिससे बांध के ऊपर आश्रित हजारों किसानों के सामने गेहूं की सिंचाई की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। वर्तमान में बांध का जलस्तर 732 फीट है।
 

हजारों हेक्टेयर खेतों के किसान निजी संसाधनों पर निर्भर

बांध के स्लूज सिंचाई गेट से रिसाव किसानों पर पड़ा भारी

कब और कैसे होगी चंद्रप्रभा बांध की मरम्मत

कौन करेगा इसके लिए पहल


चंदौली जिला के चकिया क्षेत्र में गेहूं की सिंचाई के पीक आवर में चंद्रप्रभा बांध से पानी चट हो गया है। बांध के सिंचाई स्लूज गेट से वर्ष भर से जारी पानी का रिसाव ही बांध के बे पानी होने का प्रमुख कारण है। बांध के जीरो होने से हजारों हेक्टेयर में बोई गई गेहूं की फसल पर सूखे का संकट मंडरा रहा है। और किसान सिंचाई के लिए निजी संसाधनों पर पूरी तरह निर्भर होने को विवश हो गए हैं।

बताते चलें कि चंद्रप्रभा बांध में मानसून सत्र के दूसरे चरण में अच्छी बरसात होने से पर्याप्त पानी छूट गया था। अगस्त माह में बांध का जलस्तर 756 फीट तक पहुंच गया था। जबकि बांध का जीरो लेवल 727 फीट है। खरीद के सत्र में धान की सिंचाई के लिए बरसात के साथ बांध के पानी ने भी किसानों का साथ दिया, लेकिन वर्ष भर से बांध के सिंचाई स्लूज गेट से 50 क्यूसेक पानी अनवरत डिस्चार्ज होने से दिसंबर में आते-आते बांध पूरी तरह जीरो हो गया है। जिससे बांध के ऊपर आश्रित हजारों किसानों के सामने गेहूं की सिंचाई की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। वर्तमान में बांध का जलस्तर 732 फीट है।

Chandraprabha Dam

चंद्रप्रभा बांध के पानी से होती है 15000 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई
 चंद्रप्रभा बांध का पानी मुजफ्फरपुर बीयर में छोड़कर यहां से मुख्य नहर नकोईया निकाली गई है। इस नहर से जुड़ी बबुरी माइनर भी है। जो चकिया विकास खंड के चौबीसहा क्षेत्र मझली पट्टी के 4 दर्जन गांव और बबुरी क्षेत्र के दर्जनों गांव के कुल 15000 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई करती है। इसी सिस्टम में  मिर्जापुर जनपद के पसही गांव के पास चंद्रप्रभा रेगुलेटर भी है। इससे भी नहरें निकाली गई हैं और चंद्रावती नाले से भी सिंचाई होती है। इस सिस्टम पर कुल 54 छोटी-बड़ी नहरें मौजूद हैं।

बांध का सिंचाई स्लूज गेट टेढ़ा होने से होता रहा रिसाव
 चंद्रप्रभा बांध का सिंचाई स्लूज गेट खोलने के बाद बंद करने के दौरान एक वर्ष से ही टेढ़ा हो गया था, जिसे चंद्रप्रभा प्रखंड के अधिकारियों के लाख प्रयास के बावजूद भी सीधा नहीं कराया जा सका। जबकि विभाग ने कई प्राइवेट इंजीनियरिंग कंपनियों और लोकल पेशेवर मैकेनिकल के जरिए गेट को ठीक कराने का प्रयास किया। लेकिन बांध के टेढ़ा हो चुके सिंचाई स्लूज गेट को ठीक नहीं किया जा सका। जिसके चलते 50 क्यूसेक पानी लगातार डिस्चार्ज होता रहा और अब बांध में पानी का लेवल जीरो हो गया है।


बांध के जीरो होने पर हो सकती है मरम्मत
चंद्रप्रभा बांध के जीरो होने से सिंचाई स्लूज गेट पर पानी का दबाव काफी कम हो गया है। जिससे स्लूज गेट की मरम्मत का कार्य आसानी से कराया जा सकता है।

 क्षेत्रीय किसान पूर्व ब्लाक प्रमुख बचन सिंह, विजय त्रिपाठी प्रभात पटेल, अनिल सिंह पटेल, सुभाष मौर्य, चंद्रशेखर पटेल ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान भी आरंभ में बरसात न होने से तमाम खेतों की रोपाई नहीं हुई। इसका भी कारण सिंचाई स्लूज गेट से पानी का रिसाव ही था। अब गेहूं की सिंचाई के लिए भी पानी का संकट खड़ा हो गया है।

भारतीय किसान यूनियन के तहसील अध्यक्ष वीरेंद्र पाल ने कहा कि स्लूज गेट मरम्मत के लिए कई बार बड़ा आंदोलन किया गया और जिले के प्रशासनिक और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर मांग की गई। लेकिन गेट की मरम्मत न होने से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
 

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