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चंदौली में बढ़ रहे डेंगू के मरीज, जिले में प्लेट्लेटस चढ़ाने की व्यवस्था नहीं, बनारस भेजे जा रहे मरीज

जिले में अभी तक डेंगू के 16 और 37 आंशिक मरीज मिल चुके हैं। वहीं जिला अस्पताल में रोजाना औसतन छह ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनका प्लेट्लेट्स कम है। ऐसे मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।
 

विकास पुरुष के संज्ञान में लाइए यह जानकारी

जिले में कब होगी प्लेट्लेटस चढ़ाने की व्यवस्था

मरीजों को बीएचयू रेफर करने के मजबूर हैं डॉक्टर

चंदौली जिले में मौसम में बदलाव से लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। जिले में अभी तक डेंगू के 16 और 37 आंशिक मरीज मिल चुके हैं। वहीं जिला अस्पताल में रोजाना औसतन छह ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनका प्लेट्लेट्स कम है। ऐसे मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। यहां मच्छरदानी और जरूरी सुविधाओं का तो प्रबंध है लेकिन अस्पताल में डेंगू की जांच और प्लेट्लेटस चढ़ाने की व्यवस्था न होने से रोजाना गंभीर मरीजों को बीएचयू रेफर कर दिया जाता है।

इस बारे में जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरके वर्मा ने बताया कि खून में प्लेट्लेट्स केवल डेंगू के वजह से नहीं कम होता। खून में बैक्टीरियल संक्रमण, अस्थि मज्जा की परेशानी, आईडियोपैथि थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा, हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम,हाइपरसप्लेनिज्म,स्वप्रतिरक्षित रोग से भी खून में प्लेट्लेट्स की मात्रा कम होती है।

Jila hospital

 बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्यतया प्लेटलेट्स काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है। जब यह काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाता है तो इसे लो प्लेटलेट्स माना जाता है।

 फिजिशियन डॉ. संजय कुमार ने बताया कि प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए अपनी डाइट में फोलेट, विटामिन-बी12, विटामिन-सी, विटामिन-डी और विटामिन-के से भरपूर चीजें शामिल करें। प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ाने के लिए आप पपीते का सेवन कर सकते हैं। चूहों पर हुई एक एक स्टडी के अनुसार, पपीते के पत्ते भी प्लेटलेट काउंट और रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने का काम करते हैं। इसके लिए इन पत्तों को उबालकर इसका रस निकालकर पीने से भी लाभ मिलता है। कद्दू का सेवन भी प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। इसके लिए कद्दू के रस का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं।


 जिला अस्पताल के चिकित्सकों की मानें तो सामान्य खरोंच का भी गंभीर हो जाना, लंबे समय तक घावों से खून बहना, त्वचा पर नीले रंग के छोटे-छोटे लाल और बैंगनी रंग के निशान उभर आना। नाक और मसूड़ों से काफी ज्यादा खून आना। मल का रंग काला या खून जैसा दिखना। लाल या गुलाबी रंग का यूरिन निकलना। खून के साथ उल्टी आना।प ीरियड्स के दौरान महिलाओं को असामान्य ब्लीडिंग होना। तेज सिरदर्द होना। मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द बने रहना। कमजोरी या चक्कर जैसा महसूस होना है।

 मुख्यालय स्थित पं. कमलापति त्रिपाठी जिला अस्पताल में तीन महीने पहले बनाया गया 10 बेड का डेंगू वॉर्ड शो पीस बनकर रह गया है। यहां मच्छरदानी और जरूरी सुविधाओं का तो प्रबंध है लेकिन अस्पताल में डेंगू की जांच और प्लेट्लेटस चढ़ाने की व्यवस्था न होने से रोजाना गंभीर मरीजों को बीएचयू रेफर कर दिया जाता है। इस महीने में 10 से ज्यादा मरीज बीएचयू रेफर किए जा चुके हैं। वहीं जिनकी हालत नार्मल होती है उनका इलाज होता है।

जिले के सीएमओ डॉ. वाईके राय ने बताया कि जिला अस्पताल में एनएस-वन जांच की जाती है। मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उसे संभावित डेंगू मरीज की श्रेणी में रखा जाता है। इसके बाद जिनकी रिपोर्ट एलाइजा की जांच में पॉजीटिव आती है उन्हें पूरी तरह से डेंगू पीड़ित मानते हुए उपचार किया जाता है। जिला अस्पताल में जो व्यवस्था है, उसके अनुसार मरीजों का बेहतर इलाज और दवा का प्रबंध किया जा रहा है।

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