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आज खारिज हो गयी अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद और लेखपाल सर्फुद्दीन की जमानत

इस मामले को चंद्रमोहन सिंह ने जिंदा रखा व लोवर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक कांशीराम आवास योजना के आवंटन घोटाले के मामला को घसीटा।
 

अभी कई दिनों तक जेल में रहेंगे घोटाले के आरोपी

ईओ व लेखपाल की भी जमानत अर्जी खारिज

अब हाईकोर्ट का रुख करेंगे सारे जेल में बंद आरोपी

रंग ला रहा कांशीराम घोटाले पर कोर्ट का डंडा

चंदौली जिले के चर्चित कांशीराम आवास आवंटन घोटाले के मामले में आरोपी अफसरों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। बुधवार अपर जिला जज प्रथम विनय कुमार सिंह की अदालत ने अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद और लेखपाल सर्फुद्दीन की जमानत खारिज करते हुए सभी को हाईकोर्ट जाने का रास्ता साफ कर दिया। दिनभर कचहरी में इसके लिए कई दिग्गज अधिवक्ताओं की टीम ने काफी मशक्कत की, लेकिन बीते दिनों आरोपित भीटी तहसील में तैनात उपजिलाधिकारी सुनील कुमार बरनवाल की ही तर्ज पर इन दोनों की भी जमानत खारिज कर दी गयी।

बुधवार को मामले में सदर नगर पंचायत में ईओ रहे और वर्तमान में रसड़ा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी व सदर तहसील में लेखपाल रहे सर्फुद्दीन की जमानत के लिए उनके अधिवक्ता ने अपर जिला जज प्रथम की कोर्ट से अर्जी दाखिल किया। लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी। इसके पहले इससे अब आरोपियों को जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटना पड़ेगा।

आपको याद होगा कि जिला मुख्यालय पर स्थापित कांशीराम आवास आवंटन घोटाला की शिकायत पर 2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने 40 आवासों के आवंटन को गलत पाते हुए उसे निरस्त करने का आदेश दिया था। लेकिन आदेश के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सदर तहसील के नायब तहसीलदार सुनील बरनवाल, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद व हल्का लेखपालों की मिलीभगत से अवैध तरीके से फर्जी व कूट रचित कागजात तैयार करके आवास के आवंटन फर्जी तरीके से कर दिए गए। आवासों का आवंटन किए गए लाभार्थियों के आय, निवास व अन्य प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए थे। 

इस मामले को चंद्रमोहन सिंह ने जिंदा रखा व लोवर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक कांशीराम आवास योजना के आवंटन घोटाले के मामला को घसीटा। अफसरों के द्वारा अफसरों को बचाने के मामले को कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए एसपी को घोटाला करने वालों की गिरफ्तारी का आदेश दिया। इसपर पुलिस ने कांशीराम आवास योजना के आवंटन घोटाले के मामले में आरोपितों पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इस मामले में 52 लोग आरोपी बनाए गए हैं। इसमें सरकारी कर्मचारियों के साथ ही लाभार्थियों की भी गिरफ्तारी की गई है। वहीं पुलिस ने कड़ाई करते हुए कुछ लोगों के खिलाफ 82 सीआरपीसी की कार्रवाई की तो उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा है।

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