जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

पूर्व सांसद रामकिशुन यादव लड़ेंगे रॉयल ताल से पीड़ित किसानों की लड़ाई, सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

लोगों की शिकायत व समस्या को सुनकर  पूर्व सांसद ने कहा कि जिस भूमि पर 100 साल से अधिक से किसानों का कब्जा रहा है वह भूमि कैसे रॉयल ताल की हो गई।
 

रामकिशुन बोले- कैसे 12 सौ किसानों को बेदखल करेगी प्रदेश सरकार

क्यों चुप बैठे हैं भाजपा के सांसद व विधायक

क्या इन गांवों में वोट मांगने नहीं जाएंगे माननीय लोग

चंदौली जिले के दुधारी ग्राम सभा में किसानों की जन चौपाल में जिले पूर्व सांसद रामकिशुन यादव ने किसानों की समस्या सुनने के बाद कहा कि रॉयल ताल के मामले में सरकार की नीयत सही नहीं है, क्योंकि जिस भूमि को 100 साल से अधिक समय से किसान जोत बो रहे हैं। वह किसानों के हक के रूप में सरकारी दस्तावेजो में भी दर्ज है, अब जाकर सरकार को रायल ताल दिखायी दे रहा है। रॉयल ताल के बहाने के किसानों को बेदखल करने की सरकार व सरकारी अफसरों की मंशा है।

 बता दें कि चंदौली जिले के सकलडीहा तहसील स्थित बरंगा, पंचदेवरा दुधारी, फेसुड़ा,  कल्याणपुर,  जमुनीपुर दिघवट सहित लगभग आधे दर्जन गांव को जोड़ने वाले रायल ताल के आस पास के जमीन से किसानों को बेदखल करने का मुद्दा गर्माता जा रहा है, जिसके क्रम में आज दुधारी गांव में किसानों जन चौपाल लगाकर अपने बातों को पूर्व सांसद रामकिशन यादव ने लोगों के सामने रखा। 

लोगों की शिकायत व समस्या को सुनकर  पूर्व सांसद ने कहा कि जिस भूमि पर 100 साल से अधिक से किसानों का कब्जा रहा है वह भूमि कैसे रॉयल ताल की हो गई। दूसरी बात उन्होंने यह भी बतायी कि रॉयल ताल के नाम से दर्ज भूमि जो कि 51 एकड़  कुईया के रूप में आज भी मौजूद है। वहीं किसानों को उनकी जमीन से सरकार  बेदखल कर के लगभग 1818 एकड़ या 2800 बीघा जमीन  पर कब्जा करना चाहती है, जिससे क्षेत्र के लगभग 12 सौ किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करने का कार्य किया जा रहा है।
 Ex MP Ramkishun

इल कार्रवाई में जिला प्रशासन द्वारा इसी जमीन को किसानों से अधिग्रहित कर जिला जेल बनाने के लिए बाकायदे मुआवजा भी दिया गया था, लेकिन इस मुआवजा देने के बाद अब उन्हीं किसानों से मुआवजा की धनराशि वापस ली जा रही है। तो कहीं ना कहीं यह सरकार की मंशा किसान विरोधी दिखाई दे रही है। पहले तो सरकार यह तय करें कि इस भूमि को लेकर वह क्या करेगी। वहीं यह भी कहा कि यदि यह रॉयल ताल की जमीन थी तो सरकार के पास तब कागजात नहीं थे, जब उन्होंने बकायदा किसानों को इसका मुआवजा दिया था। 

यदि सरकार जमीन से किसानों को बेदखल करने की मंशा साफ नहीं करती है तो एक बड़ा आंदोलन होगा, जिस आंदोलन की अब चिंगारी गांव गांव से निकलने शुरू हो गई है और जल्द ही सभी गांव को एकत्रित कर एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसलिए किसानों को उनका हक दे दिया जाए, क्योंकि इस जमीन पर किसान लगभग 100 साल से अधिक काबिज हैं और यदि यह जमीन रॉयल ताल की ही निकलती है तो पहले की इतिहास को  देखते हुए इस जमीन के लिए लोकसभा मुद्दा उठाकर संशोधन किया जाए और किसानों के हित में इस जमीन को देने का कार्य किया जाए, नहीं तो इसका खामियाजा सरकार को अवश्य भुगतना पड़ेगा।

 वहीं इस बातों को सुनने के बाद किसानों ने जमकर नारेबाजी की और कहा कि हम अपने हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे।

 इस दौरान सोनू प्रसाद गौड़, जोखू प्रसाद गौड़, काशी पासवान, निठोहर पासवान ,रामविलास पासवान ,छोटू पासवान, रामविलास पासवान, शिवरतन राय ,संकटा राय, श्यामलाल राय, हरिहर चौहान, कन्हैया चौहान, दसवीं चौहान, रामचरण चौहान, दारा चौहान, श्याम बिहारी चौहान, भरत चौहान, मकसूदन चौहान, जगदीश चौहान, आनंद चौहान, ओम प्रकाश पांडेय, राजाराम मौर्या, राधेश्याम , मोहम्मद आलमगीर, श्रुति चौहान, अरविंद चौहान, श्याम बहादुर सिंह, लोकू प्रसाद और चंद्र देव चौहान सम्मिलित रहे। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता रजनीकांत पांडेय ने की तथा कार्यक्रम का संचालन हरदेव मौर्या ने किया।
 

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*