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हेड मास्टर की मेहरबानी : रसोइयों को जूता मोजा खरीदने के लिए खाते में भेजी राशि

शिक्षक के खिलाफ मिली शिकायत की जांच के बाद एबीएसए नागेंद्र सरोज की जांच रिपोर्ट मिलते ही बीएसए ने तत्काल प्रभाव से प्रधानाध्यापक को निलंबित कर बीआरसी नौगढ़ से संम्बद्ध कर दिया है। मामले की सघन जांच पड़ताल के लिए एबीएसए मुख्यालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
 

1.42  कुंतल खाद्यान्न का भी गबन किया

एबीएसए की जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

बीएसए ने किया निलंबित

चंदौली जिले के नौगढ़ इलाके के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का पैसा उनके अभिभावक खा गए। स्कूल का नया सत्र प्रारंभ हुए 2 महीने बीत चुके हैं, लेकिन बच्चे बिना ड्रेस और जूता मोजा के स्कूल पहुंच रहे हैं। इससे अलग नया मामला यह है कि नौगढ़ इलाके में यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूता- मोजा खरीदने के लिए एक प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की रसोइयों के खाते में डीबीटी राशि हस्तांतरित कर दिया है। इतना ही नहीं काल्पनिक बालिकाओं के नाम 1.42 कुंतल  खाद्यान्न उठाने का खुलासा हुआ है। 

शिक्षक के खिलाफ मिली शिकायत की जांच के बाद एबीएसए नागेंद्र सरोज की जांच रिपोर्ट मिलते ही बीएसए ने तत्काल प्रभाव से प्रधानाध्यापक को निलंबित कर बीआरसी नौगढ़ से संम्बद्ध कर दिया है। मामले की सघन जांच पड़ताल के लिए एबीएसए मुख्यालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

बताया जाता है कि विकास खंड नौगढ़ के प्राथमिक विद्यालय पढ़ौती में काफी दिनों से तैनात प्रधानाध्यापक प्रेम मोहन सिंह ने विद्यालय में खुशी,अंकिता, नंदनी, सविता व अन्य काल्पनिक छद्मम बालिकाओं के नाम से नामांकन किया था। लॉक डाउन के दौरान खाद्यान्न का लाभ लेने हेतु प्रधानाध्यापक ने सुनियोजित साजिश करते हुए विद्यालय की रसोईया चमेली और फूल कुमारी के नाम पर्ची काटकर खाद्यान्न उठा लिया गया। इतना ही नहीं काल्पनिक बालिकाओं के नाम पर स्वेटर, यूनिफॉर्म जूता मोजा के मद की राशि भी डीबीटी के माध्यम से रसोइयों को अभिभावक बनाकर उनके खाते में डाल दी। 

प्रधानाध्यापक के खेल का गांव वालों की शिकायत के बाद खुलासा होने लगा। मामले की जांच करने पर स्कूल में खेले गए खेल का खुलासा हो गया है।

जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि एबीएसए नौगढ़ की जांच रिपोर्ट के बाद तत्काल प्रभाव से आरोपी प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच हेतु एबीएसए मुख्यालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे किसी भी शिक्षक को बख्शा नहीं जाएगा।

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