बालू के खेल में आज होगी कार्रवाई, यह दिया है खनन अफसर ने जवाब
ट्रक मालिकों के सवाल पर आया खनन अफसर का जवाब
क्या करते हैं ट्रक चालक, क्या है बालू ढोने का नियम
दो बार आईएसटीपी बनवाना गलत
चंदौली जिले में बालू के खेल को लेकर कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पहले भी हंटर चले रहे हैं । वही फिर बिहार की बालू को लेकर अब चंदौली जिला सुर्खियों में बनता जा रहा है क्योंकि बिहार से आने वाली बालू को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का खेल कहीं ना कहीं सरकार व जिला प्रशासन को कटघरे में लाने का कार्य कर रहा है।
इस मामले में ट्रक मालिकों का आरोप है कि हमें जो ऑल इंडिया की परमिट दी जाती है वह वाहन को ले जाने और ले आने की होती है और उसको खाली तो लेकर इस पार से उस पार नहीं करेंगे कुछ लाया ही आएगा उसके अलावा जो आईएसटीपी कटती है , किसलिए है ..?
वहीं है चालकों का तर्क
वही यह भी चालकों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि यूपी की गिट्टी बिहार में जा सकती है तो बिहार की बालू क्यों नहीं यूपी में आ सकती। यदि बिहार की बालू यूपी में प्रवेश करते ही अवैध हो जाती है, तो यूपी के गिट्टी भी बिहार में जाते ही क्यों नहीं अवैध नहीं होती है।
इस मामले में किसका है खेल और कौन कर रहा है सारे मामले को हैंडल ......?.
बता दें कि इसके पूर्व भी यूपी और बिहार की बालू को लेकर जनपद में चर्चाएं बनी रहती थीं। वहीं अब पहले तो ओवरलोड गाड़ी की बालू ही पकड़ी जाती थी, जिसके लिए एआरटीओ तथा खनन अधिकारी के कार्रवाई होती थी। इस समय जिला प्रशासन द्वारा विधिवत टीम बनाकर बिहार की बालू को यूपी में प्रवेश करने पर रोक लगाने का कार्य किया जा रहा है। चाहे ट्रक अंडर लोड हो या ओवरलोड उन्हें मंडी समिति में बंद कर रात गुजारनी ही होगी, क्योंकि जिला प्रशासन पूरी तरह से बिहार की बालू पर प्रतिबंध लगाने की मंशा बना चुका है। जिसमें लगभग इस कार्यवाही के अंतर्गत दर्जनों गाड़ियों को बंद भी किया जा चुका है ।
वहीं इस मामले को लेकर ड्राइवरों द्वारा मंडी समिति में प्रदर्शन भी किया गया और कहा गया कि किसक दोष है और कौन कसूरवार हैं..जब तक हमें नहीं बताया जाता है हम यहीं पड़े रहेंगे। आखिर हमारी गलती हमको कौन बताएगा।
जानिए यूपी व बिहार के बालू में अंतर
यूपी के बालू और बिहार के बालू में क्या है। अंतर क्यों ट्रांसपोर्टर बिहार की बालू लाना पसंद करते हैं। इस संबंध में ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि यूपी की बालू मोटी व वजनी होती है जिसके कारण कम बालू अधिक जगह लेती है। बालू मंडी फिट के ऊपर चलती है। इसके कारण हम लोगों को नुकसान होता है और हम लोग बिहार की बालू लेते हैं।
दूसरा कारण उन्होंने यह बताया कि बिहार की बालू की रॉयल्टी लगभग ₹ 19000 रुपए में 620 या 630 फीट बालू प्राप्त होती है, वहीं चोपन की बालू लगभग 24000 में मिलती है और मंडी का मार्केट निर्धारित होने के कारण बालू की बिक्री में फायदा न होने के कारण हम सभी लोग यूपी की बालू के बजाय बिहार की बालू की मंडी को पकड़ने का कार्य करते हैं।
पहले से ही यह बालू लाने का कार्य चलता आ रहा है, लेकिन पहले तो ओवरलोड गाड़ियों पर कार्यवाही होती थी। अब अंडर लोड गाड़ियों पर भी जिला प्रशासन की कार्यवाही कहीं न कहीं हम ट्रांसपोर्टरों की कमर तोड़ने का काम कर रही है।
क्यों है बिहार की बालू यूपी में अवैध
बता दें कि बिहार से जो रवन्ना या आईएसटीपी जारी होती है, उसमें बालू की परिवहन करने की बिहार तक ही सीमा रहती है। यदि उसके बाद इस बालू को यूपी में लाने से पहले यूपी की आईएसटीपी चालकों द्वारा व ट्रक मालिकों द्वारा ली जाती है तो क्या है ?
इस मामले पर भी जिला प्रशासन व शासन को ध्यान देना होगा क्योंकि ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि यूपी में प्रवेश करने से पहले नौबतपुर में जो ऑनलाइन आईएसपीपी प्राप्त की जाती है, जो कि भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा बाकायदे इसका ऑनलाइन चालान बनकर पेमेंट किया जाता है। उसके बाद भी इस बालू को अवैध माना जा रहा है। इसमें क्या है खेल किसी के पल्ले नहीं पड़ रहा है।
इस संबंध में जिला खनन अधिकारी अरविंद यादव ने बताया कि बिहार में जहां से बालू लोड होती है उसके ऑनलाइन पर्ची में गंतव्य स्थान कर्मनाशा ही दिया गया है, जबकि वहीं से आईएसटीपी जहां जाना है, वहां तक का कटना चाहिए। यही ट्रक चालकों की गड़बड़ी हैं। खनन स्थल से ही आईएसटीपी करनी चाहिए। इसीलिए इन गाड़ियों को कब्जे में लेकर जुर्माने की कार्यवाही की जा रही है।
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