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जनपद में शुक्रवार को गांव-गांव लगेगी पोषण पाठशाला, बाल विकास परियोजना की पहल

डीपीओ जया त्रिपाठी ने बताया कि पाठशाला में विभागीय सेवाओं के साथ पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपायों पर विशेषज्ञों की ओर से सवाल-जवाब पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
 

सही समय पर ऊपरी आहार पर बल

बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर नयी पहल

25 नवंबर को पोषण पाठशाला होगी आयोजित

चंदौली जिले में बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग की ओर से बच्चों, किशोरियों, गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को पोषण योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कुपोषण मुक्ति के लिए कई योजनाएं भी संचालित हैं। इसी क्रम में किसान पाठशाला की तर्ज पर जिले के एनआईसी सहित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर 25 नवंबर को पोषण पाठशाला आयोजित की जा रही है। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) जया त्रिपाठी ने दी है।

डीपीओ जया त्रिपाठी ने बताया कि पाठशाला में विभागीय सेवाओं के साथ पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचाव के उपायों पर विशेषज्ञों की ओर से सवाल-जवाब पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। यह पाठशाला दोपहर 12:30 बजे से दो बजे तक एनआईसी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पोषण पाठशाला आयोजित की जाएगी। पाठशाला में ऊपरी आहार संबंधी चुनौतियों तथा उनके समाधानों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

 पिछली बार की तरह इस बार की थीम भी ‘सही समय पर ऊपरी आहार की शुरुआत’है । उन्होंने बताया कि पोषण पाठशाला में वेब कास्ट के माध्यम से जनपद में कार्यरत सभी बाल विकास परियोजना अधिकारी, मुख्य सेविका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, लाभार्थी, धात्री महिलाओं को जोड़ा जाएगा।
   

Poshan Pathshala

डीपीओ ने बताया कि बच्चों के विकास का सीधा संबंध उनके आहार से होता है। सुपोषित बचपन के लिए छह माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है, जिसमें परिवार सुमदाय तथा प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ताओं विशेषत: आँगनबाड़ी कार्यकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान है । जानकारी का अभाव, समय का अभाव, प्रचलित मान्यताएं कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से संपूर्ण पोषण से वंचित रह जाते हैं । इस व्यवहार की कमी छोटे बच्चों में स्टंटिंग (कम ग्रोथ) का भी एक प्रमुख कारण है ।

समुदाय में लाभार्थियों को ऊपरी आहार की महत्वता, छह माह के बाद ऊपरी आहार तथा स्तनपान से मिलने वाली ऊर्जा व प्रोटीन का महत्व, बच्चों को दिये जाने वाले खाद्य़ समूह के प्रकार, ऊपरी आहार शुरू करते समय ध्यान देने योग्य बातें, ऊपरी आहार में आने वाली समस्याएँ, कुपोषित बच्चों में खानपान संबंधी देखभाल आदि के बारे में जागरूक किया जा रहा है ।

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