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रॉयल ताल के खेल में कई जा सकते हैं जेल, अंजनी पांडेय ने उजागर किया है मामला

बाकी ताल की जमीन लोगों के कब्जे में है या सरकारी दस्तावेजों में गड़बड़ी व हेराफेरी के कारण किसानों के नाम दर्ज हो गयी है, जिसके किसानों के पास वर्षों पुराने दस्तावेज हैं।
 

लगभग डेढ़ सौ कब्जाधारकों पर गिरेगी गाज

जिले की 3 अदालतों में चल रहा है मुकदमा

चंदौली जिले में रॉयल ताल का खेल कहीं ना कहीं जनपद के अधिकारियों के लिए जेल जाने का सबब बन सकता है। जेल जाने से बचने के लिए वह भले ही किसानों को परेशान करने व तरह तरह के ऑर्डर करें, लेकिन अगर इमानदारी से जांच व कार्रवाई होगी तो कई अधिकारी जेल जरुर जाएंगे। इसके लिए दोनों पक्ष के लोग अपने अपने हिसाब से कार्रवाई कर रहे हैं। इस मामले में 5 गांवों के लगभग 150-200 किसान प्रभावित हो रहे हैं।  अब इसमें संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के साथ-साथ अन्य प्रकार के कार्यों को करने के न्यायालय के आदेश के अनुसार कार्रवाई करने की बात कही जा रही है।

आपको बता दें कि रॉयल ताल काफी लंबा चौड़ा ताल है। इसे प्रदेश के सबसे बड़े तालों में शुमार किया जाता है। इसका इलाका लगभग 695 एकड़ का है। लेकिन फिलहाल केवल लगभग 30 एकड़ तक ही सीमित होकर रह गया है। बाकी ताल की जमीन लोगों के कब्जे में है या सरकारी दस्तावेजों में गड़बड़ी व हेराफेरी के कारण किसानों के नाम दर्ज हो गयी है, जिसके किसानों के पास वर्षों पुराने दस्तावेज हैं।

कई किसानों की खतौनी में बाकायदे नाम दर्ज है और वर्षों से जमीन पर काबिज हैं। पिछले 15-20 सालों से इस जमीन के लिए कई तरह की जांच पड़ताल व नोटिस का सिलसिला चला लेकिन मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण केवल कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिला प्रशासन ने न्यायालय के किसी आदेश अनुसार ताल की भूमि को पुनः 1359 की स्थिति में लाने के लिए पूर्ववत आदेश के क्रम में बहाल करने की कोशिश की है। इसका किसान विरोध कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि इस रायल ताल के इलाके में लगभग डेढ़ सौ किसानों को चकबंदी विभाग के द्वारा की गयी चकबंदी में जमीन दी गयी है और उनके चक काटे गए हैं। अब यह कहा जा जा रहा है कि कुछ शातिर किसानों ने चकबंदी विभाग से मिलीभगत के चलते कब्जा करके दाखिल खारिज भी करवा लिया गया था।  

2018 से लगे हैं अंजनी पांडेय

इस मामले में बरंगा गांव के रहने वाले अंजनी पांडेय उर्फ बबलू पांडेय ने अपने उपर हुयी कार्रवाई के बाद जांच पड़ताल शुरू की तो मामले खुला। सबसे पहले तो इस संदर्भ में जन सूचना मांगकर 2018 से ही इस मामले की तह तक जाने का कार्य शुरू की और उसके बाद धीरे-धीरे जिला प्रशासन व चकबंदी विभाग की करतूतों की पोल की तह धीरे धीरे खुलने लगी है।
 अब न्यायालय के आदेशानुसार इस भूमि को वापस रॉयल ताल के नाम से दर्ज कर दिया गया है।  रॉयल ताल के खेल के बारे में कहा जाता है कि बड़े स्तर पर 1356 व 1359 फसली वर्ष में रॉयल ताल के नाम दर्ज था। जिसका रिकॉर्ड जिला प्रशासन के द्वारा पूर्ण रूप से सीज कर दिया गया है।   

कहा जा रहा है कि ताल में फिर से दर्ज करने की कार्यवाही 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार प्रशांत व अपर जिलाधिकारी बच्चालाल, सकलडीहा के उप जिला अधिकारी विकास सिंह तथा सकलडीहा तहसीलदार फूलचंद यादव व नायब गुलाब चंद्रा सहित कई अधिकारियों के आदेश के बाद इसकी बहाली की बात अंजनी पांडेय ने बतायी है।

 साथ ही इसी मामले में  कानूगो राजदेव प्रजापति व क्षेत्रीय लेखपाल अनूप श्रीवास्तव को निलंबित भी कर दिया गया था।

बताया जा रहा है कि इस खेल में कई पुराने अफसर शामिल थे और केवल निचले स्तर कार्यवाही करके अभी तक उपर के सारे अफसरों को बचाने का काम किया गया है, लेकिन वह इस मामले में तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक सबके उपर कार्रवाई नहीं हो जाती है।

कब्जे की जमीन पर भी दिया गया मुआवजा

 वही इस भूमि में से जिला प्रशासन के लोगों द्वारा मिलीभगत कर जेल के नाम अधिग्रहित करके जेल बनाने का काम शुरू कराने की कोशिश की गयी। जब मामला न्यायालय में विचाराधीन होने की बात संज्ञान में आयी तो सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस दौरान 80 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने के  जेल के नाम पर जो कार्रवाई की गयी उसमें अधिकारियों के अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए कब्जा धारकों के खाते में लगभग 37 करोड़ रुपए भी मुआवजे के तौर पर वितरित कर दिए गए।

उसके बाद भी इस कहानी का अंत नहीं हुआ तो न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के उपरांत बांटे गए पैसे को धीरे-धीरे वसूली का भी कार्य शुरू कर दिया गया है, जिसमें से खाते में पड़े लगभग 6 करोड़ रुपए को सीज करके वसूली करने का भी काम किया गया है।
 

जिला प्रशासन की कार्रवाई

इसी मामले में न्यायालय में लगभग डेढ़ सौ कब्जा धारकों के खिलाफ मुकदमे भी जिला प्रशासन द्वारा दर्ज कर चलाए जा रहे हैं। उसमें कब्जाधारकों को नोटिस भी तमिल करा दी गई है।

अंजनी पांडेय खुद जा चुके हैं जेल

इस संबंध में अंजनी पांडेय उर्फ बबलू पांडेय ने बताया कि  रॉयल ताल  की भूमि धारा 132 व 6(1) की भूमि है, जिस पर किसी को कब्जा करने या अपने नाम दर्ज कराने का अधिकार नहीं है। जिला प्रशासन द्वारा इस मामले दर्ज एक मामले में धारा 132 व 6(1)  का हवाला देकर मुझे मेरे पिता और छोटे भाई को जेल में भेजा था। सबको जेल में जाकर सजा भी काटनी पड़ी थी। अब वह अन्य कब्जाधारकों को जेल भेजवा कर ही दम लेंगे और इस खेल में शामिल अधिकारियों को भी नहीं छोड़ेंगे।


 अब देखना है कि वाकई में रॉयल ताल की भूमि रॉयल ताल में रहती है या पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में मिली हुई भूमि कब्जाधारकों के नाम ही रहता है।

 उसके लिए कब्जाधारकों द्वारा जिला प्रशासन व इस मामले को उठाने वाले व्यक्ति के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर भूमि वापसी की मांग भी की जा रही है।

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