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आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्मार्ट टीवी का इंस्टालेशन अटका, दरवाजे-बिजली की समस्या बनी बाधा

कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा के अभाव में स्मार्ट टीवी लगाने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि खुले या असुरक्षित केंद्रों पर महंगे उपकरण लगाने से चोरी या नुकसान का खतरा बना रहता है।
 

1873 केंद्रों में शुरू हुई स्मार्ट टीवी योजना

300 से अधिक केंद्रों पर लगेंगे स्मार्ट टीवी

बिजली और दरवाजे की कमी बनी बड़ी रुकावट

कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा के बिना लगाने से किया इंकार

उत्तर प्रदेश सरकार की ‘सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र’ योजना के तहत चंदौली जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने का कार्य जारी है। इस योजना का उद्देश्य बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शालापूर्व शिक्षा प्रदान करना है। इसके अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्मार्ट टीवी और आरओ वाटर सिस्टम लगाए जाने हैं। जिले के नौ विकास खंडों के 1873 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 300 से अधिक केंद्रों को पहले चरण में स्मार्ट टीवी से लैस करने की योजना है।

जुलाई-अगस्त में शासन द्वारा चयनित केंद्रों को स्मार्ट टीवी उपलब्ध करा दिए गए थे, लेकिन अधिकांश केंद्रों पर अब तक इंस्टालेशन नहीं हो सका है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, विद्युत कनेक्शन, दरवाजे और सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण इंस्टालेशन कार्य अधर में लटका हुआ है। कई केंद्रों में बिजली नहीं है तो कुछ में दरवाजे नहीं लगे हैं, जिससे उपकरण लगाने में खतरा बताया जा रहा है।

बाल विकास परियोजना अधिकारी मनोज गौतम ने बताया कि जिन केंद्रों पर दरवाजे और बिजली की व्यवस्था नहीं है, वहीं पर इंस्टालेशन में दिक्कतें आ रही हैं। जल्द ही इन समस्याओं को दूर कर सभी केंद्रों पर टीवी लगा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सप्लाई लगभग पूरी हो चुकी है, परंतु इंस्टालेशन की जिम्मेदारी अलग एजेंसी को दी गई है।

कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा के अभाव में स्मार्ट टीवी लगाने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि खुले या असुरक्षित केंद्रों पर महंगे उपकरण लगाने से चोरी या नुकसान का खतरा बना रहता है।

जिले के इन केंद्रों में करीब दो लाख बच्चे पंजीकृत हैं। स्मार्ट टीवी लगने के बाद ‘बाल पिटारा एप’ के माध्यम से बच्चों को डिजिटल तरीके से पढ़ाया जाएगा। इस एप में 52 सप्ताह की पाठ्य सामग्री उपलब्ध है, जो साप्ताहिक रूप से बच्चों को सिखाई जाएगी। अभी तक कार्यकर्ता मोबाइल फोन के माध्यम से गतिविधियां कराती थीं, जिससे बच्चों को सीमित लाभ मिलता था।

स्मार्ट टीवी लगने से बच्चों की सीधी भागीदारी और रुचि दोनों बढ़ेंगी। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। अधिकारियों का मानना है कि इस पहल से ग्रामीण बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने में मदद मिलेगी और आंगनबाड़ी केंद्र वास्तव में ‘सक्षम’ बनेंगे।

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