CMO चंदौली सहित इन 3 अफसरों पर गिर सकती है गाज, शासन स्तर पर खुल गयी है फाइल
अपनी गर्दन बचाने के लिए लखनऊ में डेरा डाले हैं सीएमओ
पटल बाबू को बलि का बकरा बनाने की तैयारी
अब कोर्ट के रुख पर टिका है सारा मामला
कल आ सकती है बड़ी खबर
चंदौली जिले में स्वास्थ्य विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना है। माना जा रहा है कि हाईकोर्ट में 7 नवंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान सचिव और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की पेशी होनी है। इस दौरान कोर्ट के द्वारा चंदौली जिले के 3 अधिकारियों पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। इसीलिए चंदौली जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर युगल किशोर राय गुरुवार से ही लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं और चिकित्सा विभाग के सचिव के साथ मिलकर कागज और पत्रावलियों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अपनी गर्दन बचा सकें।
स्वास्थ्य विभाग के विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंदौली जिले के एडिशनल सीएमओ डॉ. आरबी शरण, डिप्टी सीएमओ संजय सिंह और जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर युगल किशोर राय के खिलाफ शासन स्तर से लिखा पढ़ी शुरू हो गई है। इसमें डिप्टी सीएमओ डॉक्टर संजय सिंह और चंदौली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ युगल किशोर राय पर गाज गिरने की संभावना तेज हो गई है।
हालांकि जिले के इन अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए पंजीकरण करने वाले पटल के बाबू नीरज राय को हटाकर विभाग के एआरओ अशोक कुमार को इसका चार्ज दे दिया है। जबकि नियमानुसार एआरओ को पटल बाबू का चार्ज नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए हटाने के बावजूद भी नीरज राय को उनके साथ अटैच करके पर्यवेक्षण कार्य कराया जाएगा।
आपको बता दें कि विभा नागवंशी की मौत के बाद चंदौली जिले के स्वास्थ्य महकमें में खलबली मची हुई है। हाई कोर्ट के अधिवक्ता आशीष नागवंशी के छोटे भाई की पत्नी की मौत के बाद हाईकोर्ट में मुकदमा दाखिल हुआ था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को जवाब तलब किया गया है। इस मामले में चार दिनों से मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ में डेरा जमाए हुए हैं, ताकि अपनी कुर्सी को बचा सकें। लेकिन जिस तरह से मामले में कार्यवाही और लापरवाही हुई है, उसको देखकर इन अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना तेज हो गई है।
मंगलवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई है अब सबकी नजर उसी तरफ है। देखना यह होगा कि हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति इस मामले में विभाग की कार्यवाही से कितना संतुष्ट होते हैं और इन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ किस तरह की कार्यवाही का निर्देश देते हैं।
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