चंदौली के इस थाने के ऑफिस में है तबादले की 'चाबी', हाथ लगाते ही हो जाता है ट्रांसफर

अबकी बार अंधविश्वास को तोड़ना चाह रहे पांडेयजी
देखिए कार्यालय बनवाकर कितने दिन बैठ पाते हैं शेषधर पांडेय
डीआईजी साहब की तबादला लिस्ट में आ गया है नाम
अब एक और चर्चा शुरू हो गयी है
चंदौली जिले के अलीनगर थाने में पुलिस के लोग व थाना प्रभारी अपने ऑफिस में बैठने से डरते हैं, हालांकि यह डर एक खास अंधविश्वास की वजह से है। लेकिन वर्तमान थाना प्रभारी ने कहा कि कार्यालय बनवाकर मैं उसमें जरूर बैठूंगा। मैं अंधविश्वास नहीं मानता हूं। कार्यालय का निर्माण युद्ध स्तर पर जारी है और उसका जल्द उद्घाटन कराकर उसी में बैठने की योजना बना रहे थे। लेकिन तबादले की सूची में उनका भी नाम आने से चर्चा जोरों पर शुरू हो गयी है।

आपको बता दें कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपराधियों के खिलाफ निडर होकर कार्रवाई करने वाली पुलिस अपनी ऑफिस बनवाने या उसमें बैठने से डरती है। प्रभारी निरीक्षक जब-जब ऑफिस बनवा कर उसमें बैठना चाहे तो उनके इलाके में कोई ऐसी घटनाएं हुई जिसके चलते या तो उनकी नींद हराम हुई या फिर कोतवाली से ही हटना पड़ा।
इसी चर्चा की वजह से यहां तैनात होने वाले लोग ऑफिस बनवाकर वहां बैठने से परहेज करते रहे। हर कोई कमरे की जगह कार्यालय के बाहर बने बरामदे में ही बैठकर थाना चलाते रहे हैं।
अनिरुद्ध सिंह के साथ हुआ था हादसा
बताया जाता है कि सबसे पहले 2007 में अलीनगर थाने पर अनिरुद्ध सिंह एसओ पद पर तैनात थे। उनसे भी कुछ पुलिसकर्मियों ने कहा कि इस ऑफिस में जो भी बैठता है, तो उसका ट्रांसफर हो जाता है। उन्होंने कहा कि मैं अंधविश्वास नहीं मानता हूं। अंधविश्वास को तोड़ने के लिए अनिरुद्ध सिंह ने सबसे पहले पूजा पाठ करके ऑफिस बनवाया। कार्यालय में टाइल्स, एसी के अलावा आकर्षक लाइटें भी लगवायी। लेकिन जैसे ही बैठना चाहा तो उनका भी रातों-रात ट्रांसफर हो गया। उनके कुछ दिनों बाद फिर अलीनगर थाने पर तैनाती दी गई।
उसके बाद 2007 से लेकर 2023 तक कार्यालय में कोई भी निरीक्षक प्रभारी नहीं बैठना चाहा। जितने भी प्रभारी निरीक्षक पद पर आए उन्होंने कार्यालय की जगह बाहर बरामदा में ही बैठकर थाना चलाते नजर आए। एक दो तीरंदाजों ने कोशिश की तो उनके इलाके में कोई वारदात हो गयी या कप्तान साहब की नजर तत्काल टेढ़ी हो गयी और उनको थानेदारी गंवानी पड़ी, तब से हर कोई ऐसी पहल करने से बचता है।
पांडेयजी कर रहे हैं दावा
वहीं जब शेषधर पांडेय ने अलीनगर थाने का चार्ज लिया तो उनसे भी कुछ लोगों ने बताया कि ऑफिस में जो भी बैठा उसका ट्रांसफर हो जाता है। लेकिन जवाब देते हुए कहा कि मैं अंधविश्वास नहीं मानता हूं। लेकिन अभी वह थाने के बरामदा को ही कार्यालय बनाकर काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ दिनों से कार्यालय की मरम्मत करवाने लगे तो उनके तबादले की चर्चा होने लगी। कार्यालय में टाइल्स, एसी के अलावा आकर्षक लाइटें भी लगवाई हैं, कार्यालय का निर्माण युद्ध स्तर पर हो गया है। जल्द उद्घाटन कराया जाएगा। लेकिन डीआईजी साहब की लिस्ट में तबादले के लिए नाम आ ही गया है।
बताया जाता है कि जब से अलीनगर थाने में प्रभारी पद पर शेषधर पांडेय का नियुक्त हुए हैं। तब से थाने की कार्यशैली बदलने की कोशिश होती नजर आ रही। उन्होंने चार्ज लेने के बाद सबसे पहले थाने में फरियादियों के लिए पानी की व्यवस्था कराई थी। लेकिन गर्मी को देखते हुए थाना परिसर में शेषधर पांडेय ने मिट्टी के मटके मंगवा कर फरियादियों को पानी पिलाया फिर उनकी समस्या सुनी। उसके बाद उन्होंने थाने में पड़ी गाड़ियों को हटवाकर कर थाने की सफाई करवाई। फिर उन्हीं के थाने क्षेत्र में जन सहयोग से तीन पुलिस चौकियों की नींव रखवाई। जिसमें तीनों चौकी निर्माण युद्ध स्तर पर हो गया है। उन्होंने इतना ही नहीं कई परिवारों को टूटने से बचाने के साथ-साथ गरीब बुजुर्गों की मदद की।
मैं तो जरूर बैठूंगा
इस संबंध में अलीनगर प्रभारी शेषधर पाण्डेय ने बताया कि अपना कार्यालय तेजी से बनवाकर जल्द से जल्द उसमें बैठने की कोशिश करेंगे। कार्यालय का निर्माण युद्ध स्तर पर जारी है। तबादला होने एक विभागीय प्रक्रिया है। कमरे में बैठने या कार्यालय बनवाने से ट्रांसफर नहीं होता है।
हालांकि अब देखना है कि कार्यालय निर्माण होने तक पांडेय जी रहते हैं या फिर इनका भी कोई थाने पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। क्योंकि जिन-जिन प्रभारी निरीक्षकों ने कार्यालय बनाकर कुर्सी पर बैठना चाहा था उनका ट्रांसफर हो ही गया था।
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