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पैसे के अभाव में लटके हैं कई अमृत सरोवर, योजना शुरू कर विभाग नहीं देता है पैसे ​​​​​​​

अबकी बार 31 मार्च को साल का वित्तीय वर्ष 2023-24 पूरा हो चुका है। जिले में चयनित 90 अमृत सरोवरों से जुड़े सभी कार्य 31 मार्च तक पूरे हो जाने थे, लेकिन अभी भी कई अमृत सरोवरों के कार्य आधे-अधूरे हैं।
 

कई ब्लॉकों में आधे अधूरे हैं तालाब

259 तालाबों को अमृत सरोवर में तब्दील करने का दावा

बजट के अभाव में नहीं हो रहा है काम

अब है आचार संहिता का बहाना

 

अबकी बार 31 मार्च को साल का वित्तीय वर्ष 2023-24 पूरा हो चुका है। जिले में चयनित 90 अमृत सरोवरों से जुड़े सभी कार्य 31 मार्च तक पूरे हो जाने थे, लेकिन अभी भी कई अमृत सरोवरों के कार्य आधे-अधूरे हैं। कहीं रैंप नहीं बने हैं तो कहीं घाट का पक्कीकरण व बिजली का कार्य नहीं हो सका है। इससे जिले में सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को ब्लॉक व पंचायत के लोगों की उदासीनता के कारण पंख नहीं लग सके हैं। हालांकि जिले के अधिकारियों का दावा है कि जिले में 259 तालाबों को अमृत सरोवर में तब्दील कर दिया गया है।


आपको बता दें कि जिले में वर्ष 2022 में अमृत सरोवर का निर्माण आरंभ कराया गया था। योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में तालाबों के सुंदरीकरण का कार्य कराया गया, पर उसके बाद जस का तस छोड़ दिया गया। निर्माण की रफ्तार सुस्त होने के कारण कुछ गांवों को छोड़कर किसी भी गांव में निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हो सका है। जिस तालाब का सुंदरीकरण कराया गया है, वह भी देखरेख के अभाव में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अधिकतर गांवों में सिर्फ मिट्टी का कार्य कराकर छोड़ दिया गया है। योजना की जब शुरुआत हुई तो काफी तेजी के साथ कार्य शुरू कराया गया, लेकिन धीरे-धीरे निर्माण सुस्त होता गया।

amrit sarovar

 अब इस योजना का आलम यह है कि तालाबों के किनारे रैंप न बनाए जाने के कारण पशुओं के हलक गर्मी में सूखते रहेंगे। लोगों के बैठने के लिए बेंच भी नहीं बनाए गए हैं और न ही प्रकाश की व्यवस्था की गई है। तस्वीरों में सरकार की ओर से अमृत सरोवर का जैसा मॉडल पेश किया गया था, जिले में उससे मिलता एक भी सरोवर देखने को नहीं मिल रहा है। इससे लोगों में मायूसी है।


धन के अभाव में रुका है काम
अगर सकलडीहा विकास खंड के इलाके में देखेंगे तो शासन की ओर से भले ही अमृत सरोवर के रूप में तालाबों को चयनित कर सुंदरीकरण करने का फरमान जारी हुआ हो लेकिन हकीकत यह है कि धन के अभाव में सुंदरीकरण का कार्य अधर में लटका हुआ है। सकलडीहा विकासखंड के सराय पकवान गांव में बन रहे महाराणा प्रताप अमृत सरोवर की सिर्फ खोदाई ही हुई है। कुछ ऐसा ही हाल बसनी गांव में भी अमृत सरोवर का है। 

इस संबंध में सकलडीहा के खंड विकास अधिकारी केके सिंह ने बताया कि बजट के अभाव में कार्य अधर में लटके हुए हैं। बजट मिलते ही सभी कार्यों को पूर्ण कराने की कोशिश की जाएगी। 


इस मामले में विकास खंड चहनिया रूपेठा गांव में चयनित अमृत सरोवर का भी कार्य अधर में लटका हुआ है। साथ ही मझिलेपुर ग्राम सभा में बनाया गया अमृत सरोवर गंदगी से पटा पड़ा है। सरोवर के किनारे ग्रामीणों ने उपले थाप रखे हैं। तालाब के चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। पाथवे भी नहीं बनाया गया है। तालाब के किनारे केवल कुर्सियां व सोलर लाइटे लगाई गई हैं। तालाब में उतरने के लिए सीढ़ियां बनाई गई हैं लेकिन अन्य कार्य धन के अभाव में अधूरे हैं। 

मझिलेपुर के ग्राम प्रधान नरेंद्र प्रसाद ने कहा कि जितना बजट मिला था, उतना कार्य कराया गया है। केवल कुर्सियां लगाने व सीढ़ियां बनाने के लिए भुगतान किया गया था। धन मिलने पर अन्य विकास कार्य कराए जाएंगे।

वहीं सीडीओ साहब का दावा है कि जिले में 259 तालाबों को अमृत सरोवर में तब्दील कर दिया गया है। इन तालाबों के किनारे सभी निर्माण पूरे कर लिए गए हैं। अन्य तालाबों को चिह्नित कर लिया गया है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद कार्य आरंभ करा दिए जाएंगे।

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