सरकारी ऑफिस में प्राइवेट गाड़ियों पर नकेल कसने में फेल रहे हैं ARTO, 22 गाड़ी मालिकों ने नहीं मानी बात

प्राइवेट गाड़ियों का है रजिस्ट्रेशन नंबर
सरकारी कार्यालयों में लगाकर गाड़ी मालिक कर रहे हैं महीने भर कमाई
अब ऐसे वाहनों पर ARTO करने जा रहे हैं कार्रवाई
चंदौली जिले के कई सरकारी कार्यालयों में निजी रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहन ठेके पर चल रहे हैं, जिन्हें विभागीय कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। परिवहन विभाग अब ऐसे गैर-कॉमर्शियल पंजीयन वाले वाहनों के खिलाफ सख्त अभियान चलाने की तैयारी में है। वहीं सरकारी अफसरों को भी ऐसी गाड़ियों से न चलने की अपील की जा रही है।

रेलवे में सबसे अधिक उपयोग
जिला स्तर पर सबसे अधिक प्राइवेट नंबर वाले वाहन रेलवे विभाग में ठेका प्रथा के तहत संबद्ध हैं। ये वाहन बिना कॉमर्शियल पंजीयन के चल रहे हैं, जिससे परिवहन विभाग को राजस्व की क्षति हो रही है। कहा जा रहा है कि सबसे अधिक ऐसी गाड़ियां रेलवे में चल रही हैं।

एक साल पहले दिए गए थे नोटिस
लगभग एक वर्ष पूर्व एआरटीओ कार्यालय की ओर से 22 वाहन स्वामियों को नोटिस जारी कर कॉमर्शियल पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके कई वाहन अभी भी प्राइवेट नंबर पर चल रहे हैं, जिससे लगता है कि ऐसे गाड़ी मालिकों को सरकार व प्रशासन का कोई खौफ ही नहीं है।
अब चलेगा अभियान
एआरटीओ प्रशासन डॉ. सर्वेश गौतम ने बताया कि निजी पंजीकरण वाले वाहनों को विभागीय कार्यों में लगाना नियम विरुद्ध है। ऐसे मामलों में अब अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। संबंधित विभागों को भी निर्देशित किया गया है कि किसी भी निजी वाहन को संबद्ध करने से पूर्व परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना अनिवार्य है।
निजी वाहन से सरकारी काम पर रोक
डॉ. गौतम ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्थिति में प्राइवेट नंबर वाले वाहन का उपयोग सरकारी कार्य में नहीं किया जा सकता। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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