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15 साल पुरानी स्कूल बसों के संचालन पर जुलाई से लगेगी रोक

ऐसे वाहनों से अक्सर दुर्घटना होने की संभावना रहती है। जर्जर वाहन पर्यावरण प्रदूषण के कारक भी हैं। विभाग इनका फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगा।
 

बच्चों को सुरक्षित सफर उपलब्ध कराने की दिशा में पहल

अभियान में खटारा वाहनों को किया जाएगा चिह्नित

स्कूल प्रबंधन नकेल कसने की तैयारी

चंदौली जिले में स्कूल प्रबंधन की ओर से चलाई जा रही 15 साल पुरानी बसों के संचालन पर अब रोक लगेगी। इसके लिए परिवहन विभाग सख्त कदम उठाने जा रहा है। छात्रों के आवागमन के लिए निजी स्कूलों में लगाई गई पुरानी बसों के साथ-साथ अन्य वाहन सड़कों पर जुलाई से फर्राटा नहीं भरेंगे। विभाग ऐसे वाहनों की धड़पकड़ करेगा।

आपको बता दें कि एआरटीओ प्रवर्तन व यातायात पुलिस जांच अभियान चलाकर वाहनों को चिह्नित करने के साथ ही कार्रवाई भी करेंगे। नगर व ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहीं जर्जर स्कूली वाहन शासन के रडार पर हैं। ऐसे वाहनों से अक्सर दुर्घटना होने की संभावना रहती है। जर्जर वाहन पर्यावरण प्रदूषण के कारक भी हैं। विभाग इनका फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं करेगा। चालक के पकड़े जाने पर उसका लाइसेंस भी निरस्त होगा।
बताते चलें कि विभाग ने पुराने स्कूली वाहनों के संचालन पर रोक लगाने की योजना बना लिया है। रिकार्ड खंगालकर खस्ताहाल वाहनों की सूची तैयार कराई जाएगी। चंद रुपयों की लालच के लिए विद्यालय प्रबंधन पुराने वाहनों का संचालन जारी रखा हैं। ऐसे वाहनों को अक्सर छात्र धक्का देकर चालू कराते हुए देखे जा सकते हैं। बस के अलावा मैजिक, आटो की तादाद ज्यादा है।

इस संबंध में एआरटीओ प्रशासन डा. सर्वेश गौतम ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। 15 साल पुरानी स्कूली बसों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। मैजिक, टेंपो के खिलाफ भी अभियान चलाया जाएगा।

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