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चंदौली में ARTO पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप, महिलाओं और बच्चों समेत 19 यात्रियों को घंटों सड़क पर खड़ा किया

एआरटीओ के द्वारा चेकिंग के नाम पर पैसे की वसूली का मामला तब सामने आया जब गुजरात से चलकर बिहार जा रही एक निजी बस को मंडी पुलिस चौकी के पास रोक दिया गया।
 

इमरजेंसी गेट के नाम पर ARTO ने मांगे लाखों रूपये

बस में सवार महिलाओं और बच्चों को प्रचंड गर्मी में घंटों कराया खड़ा

जानिए कितने रुपए की हो रही है डिमांड

चंदौली जनपद में जीरो टॉलरेंस की सरकार के दावों के बीच परिवहन विभाग पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जहां एआरटीओ ने बच्चों और महिलाओं सहित 19 यात्रियों को प्रचंड गर्मी में सड़क पर घंटों खड़ा रखा। इतना ही नहीं कार्यवाही के नाम पर दो दिनों तक मालिक और ड्राइवर से मोलभाव होता रहा है। मामला खुल जाने पर एआरटीओ के द्वारा अब दूसरे तरह की दलील दी जा रही है।

चंदौली जिले में एआरटीओ के द्वारा चेकिंग के नाम पर पैसे की वसूली का मामला तब सामने आया जब गुजरात से चलकर बिहार जा रही एक निजी बस को मंडी पुलिस चौकी के पास रोक दिया गया। बस में मासूम बच्चे, महिलाएं और अन्य यात्री मौजूद थे, जो तेज धूप और भीषण गर्मी में बस के बाहर खड़े होकर एआरटीओ से बस छोड़ने की गुहार लगाते रहे। लेकिन एआरटीओ और उनके विभाग के मौजूद कर्मचारियों का दिल नहीं पसीजा।

चालक का आरोप है कि एआरटीओ के दलालों ने बस छोड़ने के एवज में 7 लाख रुपये तक की डिमांड शुरू कर दी। जबकि बस पर पहले से ही एआरटीओ ने 20,500 रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बावजूद अवैध रूप से दूसरे दिन बीतने पर 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त मांग की जा रही थी।

ATRO Chandauli

हालात से परेशान बस चालक ने 12 घंटे बाद यात्रियों के लिए दूसरी गाड़ी की व्यवस्था कर उन्हें रवाना किया। हालांकि, मूल बस अब भी पिछले दो दिनों से मंडी पुलिस चौकी में खड़ी है। कहां जा रहा था कि बस को छोड़ने के लिए उनके द्वारा जमाने के अलावा और पैसे मांगे जा रहे हैं।

एआरटीओ डॉक्टर सर्वेश गौतम ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बस के इमरजेंसी गेट की जांच तीन दिन के अभियान के तहत की जा रही है और उसी प्रक्रिया के तहत बस को रोका गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि एक इमरजेंसी गेट की जांच में आखिर दो दिन कैसे लग सकते हैं..?

ATRO Chandauli

बस चालक का कहना है कि उसे लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है और गुजरात के परिवहन संचालकों से पैसे वसूली की जा रही है। मेरे बस का गुजरात का परमिट था , यूपी का परमिट नहीं था,जिसका जुर्माना भी मैं भरने के लिए तैयार हूं। उसके बावजूद भी लाखों रुपए की डिमांड की जा रही है जितने की  बस नहीं उससे ज्यादा का पैसा जुर्माना मांगा जा रहा है।

अब बस चालक ने यूपी के मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि चंदौली का परिवहन विभाग इससे पहले भी भ्रष्टाचार और दलाली के मामलों को लेकर सुर्खियों में रह चुका है। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और अमानवीय रवैये की पोल खोल दी है।

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