चंदौली के डीएम-एसपी बने हैं धृतराष्ट्र, सत्ता के दवाब में नहीं देख रहे सही गलत

एसपी साहब आखिर क्यों ऐसा कर रहे बलुआ के थानेदार
एक ही तरह की तहरीर पर दो तरह की कार्रवाई
आपका फरमान है या सत्तापक्ष का दबाव...जानना चाहती है जनता
चंदौली जिले में बलुआ थाना क्षेत्र में चहनियां ब्लॉक इस समय राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ इस समय बीडीसी सदस्यों में झंडा बुलंद कर रखा है। प्रमुख पद के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गहमागहमी अब और तेज हो गयी है। इसी को लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्यों के साथ दोनों पक्ष के लोग अपना-अपना हथकंडा अपना रहे हैं।

विगत दिनों एक क्षेत्र पंचायत सदस्य व सत्ता पक्ष के सहयोगियों के साथ जाकर दूसरे पक्ष के लोगों के खिलाफ गाली-गलौज और अपहरण की कोशिश करने का मुकदमा दर्ज कराया है, तो वहीं दूसरे पक्ष के लोग जब शाम को अपना तहरीर देने गए तो उन्हें आश्वासन की घूंटी पिलाकर लौटा दिया गया। एक ही थाने में एक ही तरह की तहरीर एक ही मानक नहीं अपनाया जाने का ये नायाब तरीका थाने वालों ने निकाल लिया है।
थानेदार व सीओ साहब इसको लेकर खामोश हैं। सत्तापक्ष के शुभचिंतकों पर थाने की विशेष कृपा चर्चा का विषय बनी हुयी है। वहीं विरोधी पक्ष को केवल पीली पर्ची वाला लॉलीपॉप देकर घर भेज दिया गया है।
बुधवार को एक मथेला निवासी क्षेत्र पंचायत सदस्य संजय चौरसिया पुत्र श्याम बिहारी चौरसिया ने बलुआ थाना में तहरीर दिया तो सत्ताधारी दल के दबाव और आला अफसरों को खुश करने के लिए थाना प्रभारी ने तुरंत मुकदमा लिख लिया। उसके बाद तीन चार क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने भी अपनी ओर से तहरीर देकर बलुआ थाना में कार्रवाई की मांग की, लेकिन एक ही तरह की तहरीर पर कार्यवाही न होना लोगों के गले नहीं उतर रहा है। अगर ये क्रॉस एफआईआर जैसा है तो भी दोनों पक्षों का मुकदमा तो लिखा ही जाना चाहिए।
ऐसा लग रहा है कि थानेदार की कुर्सी पर बैठे इंस्पेक्टर साहब सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में कुछ ज्यादा ही दब गए हैं या फिर आला अधिकारियों ने केवल एक पक्ष की सुनने का फरमान जारी कर रखा है। तभी तो एक तहरीर पर फट से एक्शन ले लेते हैं और दूसरे पर कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते हैं। वहीं इस दोहरी नीति पर थाना प्रभारी व सकलडीहा क्षेत्राधिकारी किसी भी तरह की बात करने से कतरा रहे हैं और केवल गोलमटोल जवाब दे रहे हैं।

वहीं उपेन्द्र सिंह गुड्डू ने कहा कि बलुआ थाने एक बीडीसी की शिकायत पर मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया जाना और दूसरे क्षेत्र पंचायत सदस्याों की तहरीर पर प्रमुख अरूण जायसवाल के खिलाफ मुकदमा न लिखा जाना यह दर्शाता है कि थानेदार केवल सत्तापक्ष के हित संरक्षक बनकर काम कर रहे हैं। उन्हें या तो सही गलत का ज्ञान नहीं है या फिर उनको कानूनी नियमों की जानकारी नहीं है। ऐसे में लोग पुलिस का क्या सहयोग करेंगे और कैसे भरोसा करेंगे।
एक बीडीसी सदस्य ने कहा कि जब जिले के पुलिस कप्तान व जिलाधिकारी जैसे शीर्ष अफसर सब कुछ जानकर इस में धृतराष्ट्र की तरह आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं, तो जनता कहां जाएगी। किससे फरियाद करेगी।
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