भारतमाला एक्सप्रेसवे परियोजना को लेकर नहीं माने किसान, बोले- पहले पूरा मुआवजा और सर्विस रोड..तब देंगे अपनी जमीन
चंदौली जिले में भारतमाला एक्सप्रेसवे परियोजना पर विवाद
किसान अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के समक्ष डटे रहे
अफसरों के आश्वासन के बाद आंशिक निर्माण कार्य शुरू
चंदौली जिले में भारतमाला एक्सप्रेसवे परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण को लेकर चंदौली जिले के बबुरी क्षेत्र के बहेरा गांव में मंगलवार को भी किसानों और ग्रामीणों का विरोध जारी रहा। लगातार दूसरे दिन किसान अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के समक्ष डटे रहे। किसानों का स्पष्ट कहना है कि जब तक उन्हें उनकी भूमि का पूरा मुआवजा और गांव की सुविधा के लिए सर्विस रोड नहीं दी जाती, वे जमीन नहीं देंगे।
प्रशासन की ओर से मंगलवार को पांच सदस्यीय अधिकारियों की टीम बहेरा गांव पहुंची और स्थल का निरीक्षण कर ग्रामीणों की समस्याएं जानी। भाजपा नेता राणा प्रताप सिंह के नेतृत्व में किसानों ने अपनी मांगों को अधिकारियों के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि गांव की भौगोलिक स्थिति अत्यंत संवेदनशील है, क्योंकि यह तीन नदियों के बीच स्थित है और हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाता है।
बाढ़ नियंत्रण और सर्विस रोड की मांग प्रमुख
किसानों ने बताया कि यदि एक्सप्रेसवे का निर्माण बिना समुचित योजना और बाढ़ नियंत्रण उपायों के किया गया, तो इससे गांव में जलभराव और बाढ़ की स्थिति और भी विकराल हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने मांग रखी कि गांव के लोगों की सुविधा के लिए एक्सप्रेसवे के साथ सर्विस रोड का भी निर्माण कराया जाए, जिससे स्थानीय लोग भी इस सड़क से लाभ उठा सकें।
किसानों ने पूर्व में अधिग्रहित भूमि का मुआवजा शीघ्र दिलवाने की भी मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि मुआवजा मिलने तक जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है, वहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा।
प्रशासन ने दिया आश्वासन, बनेंगे 40 कलवर्ट
निरीक्षण टीम में एसडीएम दिव्या ओझा, परियोजना निदेशक पंकज मिश्रा, डिप्टी मैनेजर संचित मंगला, स्थल अभियंता जयश सिंह, भू-अर्जन प्रभारी राजेश राय और प्रोजेक्ट मैनेजर सुधीर वर्मा शामिल थे। अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत कर क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की जानकारी ली और समस्याओं को समझा।
परियोजना निदेशक पंकज मिश्रा ने बताया कि चुरमुली से पचपेड़वा तक ड्रोन सर्वे कराकर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि बाढ़ की समस्या को गंभीरता से लिया गया है और जल निकासी के लिए करीब 40 कलवर्ट बनाए जाएंगे, ताकि किसी प्रकार की अवरोध की स्थिति उत्पन्न न हो।
सर्विस रोड की उपयोगिता पर भी सहमति
ग्रामीणों की ओर से रखी गई सर्विस रोड की मांग को भी अधिकारियों ने तर्कसंगत बताया और कहा कि इसकी उपयोगिता से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। इससे स्थानीय लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
आंशिक रूप से शुरू हुआ निर्माण कार्य
अधिकारियों के आश्वासन के बाद किसानों ने अस्थायी रूप से रोके गए निर्माण कार्य को शुरू करने की अनुमति दे दी। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है, उनकी भूमि पर कार्य तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिल जाता।
किसानों ने दोहराई चेतावनी
किसानों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि समय पर उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में किसी भी निर्माण या अधिग्रहण कार्य से पहले स्थानीय ग्रामीणों से सलाह लेना अनिवार्य किया जाए।
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