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भारतमाला परियोजना का जमीन अधिग्रहण, लेखपालों को डीएम की चेतावनी, एक महीने में करना है फाइनल

जिलाधिकारी निखिल टी फुंडे की अध्यक्षता में भारत माला परियोजना, मुगलसराय- इलाहाबाद थर्ड लाईन डीएफसीसीआईएल के भूमि अधिग्रहण की समीक्षा बैठक कलेक्ट्रेट सभागर में बैठक आयोजित हुई। 
 

भारतमाला परियोजना व अन्य प्रोजेक्ट का जमीन अधिग्रहण लटका

मुआवजे को लेकर रेवसां गांव में परेशानी

लेखपालों को एक महीने की मोहलत

चंदौली जिले के जिलाधिकारी निखिल टी फुंडे की अध्यक्षता में भारत माला परियोजना, मुगलसराय- इलाहाबाद थर्ड लाईन डीएफसीसीआईएल के भूमि अधिग्रहण की समीक्षा बैठक कलेक्ट्रेट सभागर में बैठक आयोजित हुई। 

जिलाधिकारी ने कड़े निर्देश देते हुए कहा कि भारतमाला परियोजना के तहत प्रभावित किसानों की जमीन के सत्यापन और उनको मुआवजा दिलाने की कार्यवाही में तीव्रता लाते हुए पूर्ण किया जाए। उन्होंने जिन लेखपालों की मुआवजा संबन्धित कार्य में हो रही ढिलाई पर कई लेखपालों को सख्त चेतावनी देते हुए एक महीना का समय दिया है। 

bharatmala project

परियोजना के तहत प्रभावित 160.627 हेक्टेयर जमीन में 69 हेक्टेयर का भुगतान हो पाया है। योजना से प्रभावित किसानों को कुल दो अरब 33 करोड़ 80 लाख 17 हजार चार रुपये का़ भुगतान किया जाना है। पिछले साल सर्वे का पूरा होने के बाद जिले में 25 लेखपालों को एक- एक गांव में प्रभावित किसानों की जमीन सत्यापन कर उनकों मुवाअजा दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन अभी तक प्रभावित किसानों को आधा मुवाअजा नहीं दिया जा सका है। 

बताया जा रहा है कि इसमें सबसे ज्यादा जमीन मुगलसराय तहसील के रेवसां गांव के लोगों की जा रही है। यहीं के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं। जहां के किसानों को 69 करोड़ 64 लाख चार हजार 174 का भुगतान किया जाना है। लेकिन यहां के लोग मुआवजे से खुश नहीं हैं। इसीलिए भुगतान की समस्या आ रही है।

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चंदौली जिले के रेवसां से निर्माण कार्य शुरू होकर एक्सप्रेस वे भभुआ, सासाराम, औरंगाबाद, बोकारो, रांची व पुरुलिया से होते हुए कोलकाता तक जाएगा।  एक्सप्रेसवे के लिए जनपद में जमीन अधिग्रहण का कार्य तेजी से चल रहा है। कई स्थानों पर जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो गया है।


जानकारी के अनुसार भारतमाला परियोजना के अंतर्गत बनने वाला यह एक्सप्रेस वे 686 किमी लंबा व लगभग 100 मीटर चौड़ा यानी आठ लेन का बनाया जाएगा।  इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व बंगाल जैसे कई राज्य जुड़ेंगे। इसके निर्माण में लगभग 24,275 करोड़ की धनराशि खर्च होने की उम्मीद है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण का उद्देश्य बौद्धिक व कभी आर्थिक राजधानी रहे काशी को कोलकाता से सीधे तौर पर जोड़ना है। यह एक्सप्रेस वे झारखंड की राजधानी रांची से होकर जाएगा।

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