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रेवसां में भारतमाला परियोजना को लेकर विरोध जारी, सांसद और पूर्व विधायक ने दिया समर्थन

धरने में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि जिनके घर टूटे हैं, वे पहले से ही बेहद गरीब हैं और अब उनके पास न तो जमीन है और न ही सिर पर छत। इस स्थिति में उनके समक्ष जीवन यापन की गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है।
 

रेवसां बस्ती बचाओ आंदोलन फिर तेज़

भारतमाला परियोजना में मुआवज़ा और पुनर्वास की मांग

धरना प्रदर्शन फिर से तेज होने की संभावना तेज 

चंदौली जिले में भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण और मकान ध्वस्तीकरण के विरोध में रेवसां बस्ती बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। शुक्रवार को समिति ने धरना-प्रदर्शन कर प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जब तक संपूर्ण मुआवज़ा और पुनर्वास की व्यवस्था नहीं होती, तब तक किसी भी मकान को न तोड़ा जाए।

राजनीतिक दलों का भी मिला समर्थन 
इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। सांसद वीरेंद्र सिंह और पूर्व सपा विधायक मनोज सिंह डब्लू ने आंदोलन को खुला समर्थन देते हुए प्रशासन को चेतावनी दी है और कहा कि किसी को उजाड़ने से पहले बसाने की व्यवस्था करनी चाहिए। वहीं सांसद वीरेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा कि जब तक प्रभावितों को पूरा मुआवज़ा और पुनर्वास नहीं मिलता, तब तक वे किसी भी घर को गिराने नहीं देंगे। उन्होंने प्रशासन से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।

 MP Virendra Singh

22 गांव प्रभावित, आरोपों में घिरा प्रशासन
भारतमाला परियोजना के तहत चंदौली के सदर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर तहसील के कुल 22 गांव प्रभावित हो रहे हैं। समिति के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने कुछ मकान बिना मुआवज़ा दिए गिरा दिए हैं, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को गहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार लोगों का दर्द कब और कैसे सुनेगी।

पुनर्वास की मांग
अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने मांग की कि यदि विस्थापन अनिवार्य है, तो पहले सभी प्रभावितों के पुनर्वास की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक लिखित तौर पर पुनर्वास नीति नहीं घोषित की जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

धरने में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि जिनके घर टूटे हैं, वे पहले से ही बेहद गरीब हैं और अब उनके पास न तो जमीन है और न ही सिर पर छत। इस स्थिति में उनके समक्ष जीवन यापन की गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है। आंदोलन में चकरू यादव, विक्की यादव, राजकुमार, संतोष यादव, रामदुलार, संजय यादव, उपेंद्र कुमार, गोलू, विकास, सोनू कुमार सहित कई ग्रामीण शामिल रहे।

इससे पूर्व गुरुवार को एसडीएम अनुपम मिश्रा ने धरनारत लोगों से संवाद कर उन्हें शांत किया था और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया था, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई के विरोध में शुक्रवार को फिर से आंदोलन तेज हो गया।

रेवसां बस्ती के लोग अब अपनी जमीन और आशियाने को बचाने के लिए संगठित होकर खड़े हो गए हैं। देखना यह होगा कि प्रशासन इस आंदोलन को लेकर क्या रुख अपनाता है और क्या प्रभावितों की मांगें पूरी होती हैं या नहीं।

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