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ऐसी है चंदौली पुलिस : जल्दबाजी में भाजपा नेता को ही कर दिया नजरबंद

पुलिस का यह कदम प्रधानमंत्री के दौरे से पहले संभावित विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए था, जिसके तहत विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एहतियातन नजरबंद किया जा रहा था।
 

प्रधानमंत्री के दौरे से पहले चंदौली पुलिस की तेजी

जल्दबाजी में पुलिस की गलती से होने लगी किरकिरी

भाजपा कार्यकर्ता को किया नजरबंद

जिलाध्यक्ष समेत कई नेताओं ने जताई आपत्ति

चंदौली जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ धरने प्रदर्शन के कारण चंदौली पुलिस नेताओं को नजरबंद कर रही थी। इसी दौरान पीएम मोदी के वाराणसी दौरे से ठीक पहले चंदौली में पुलिस की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। विपक्षी नेताओं को हिरासत में लेने की तैयारी में जुटी पुलिस ने गलती से भाजपा के एक सक्रिय कार्यकर्ता को ही उनके घर में नजरबंद कर दिया। इस घटना के बाद जिले के पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, वहीं स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में भी गहरा रोष है।

गलत पहचान बनी नजरबंदी का कारण
यह पूरा मामला चंदौली के बबुरी थाना क्षेत्र का है। जानकारी के अनुसार, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता और पूर्व प्रधान ओम प्रकाश सिंह को गुरुवार देर रात पुलिस ने उनके घर में नजरबंद कर दिया। रात करीब 1 बजे पुलिस की एक टीम उनके आवास पर पहुंची और उन्हें सख्त हिदायत दी कि वे घर से बाहर न निकलें। पुलिस का यह कदम प्रधानमंत्री के दौरे से पहले संभावित विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए था, जिसके तहत विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एहतियातन नजरबंद किया जा रहा था।

पुलिस की यह गलती नाम की समानता के कारण हुई। दरअसल, पुलिस जिस व्यक्ति को हिरासत में लेना चाहती थी, उसका नाम भी ओम प्रकाश सिंह था, लेकिन वह एक विपक्षी कार्यकर्ता था। पुलिस ने बिना पूरी पुष्टि किए, भाजपा के कार्यकर्ता ओम प्रकाश सिंह को ही नजरबंद कर दिया। इस बड़ी चूक से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं, और यह घटना सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गई है।

भाजपा कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी
नजरबंद किए गए भाजपा कार्यकर्ता ओम प्रकाश सिंह ने इस घटना पर अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, "दीपक से लेकर कमल तक मैं पार्टी के साथ खड़ा रहा हूं। अपनी ही सरकार में नजरबंद होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।" उनकी यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गई, जिसने पूरे मामले को उजागर कर दिया और पार्टी के भीतर भी इस पर चर्चा शुरू हो गई।

भाजपा के जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह ने भी इस घटना की निंदा की। उन्होंने कहा, "खुरूहुजा के पूर्व प्रधान ओमप्रकाश सिंह एक जमीनी और समर्पित कार्यकर्ता हैं। अगर उनके साथ ऐसा हुआ है तो इसकी गहन जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।" यह बयान दर्शाता है कि पार्टी आलाकमान भी इस मामले को गंभीरता से ले रहा है।

पुलिस ने स्वीकार की गलती, लेकिन सवाल बरकरार
मामले के तूल पकड़ने के बाद चंदौली के क्षेत्राधिकारी (सीओ) को मीडिया के सामने सफाई देनी पड़ी। उन्होंने स्वीकार किया कि पुलिस से यह बड़ी चूक हुई है और इसके पीछे की वजह नामों की समानता है। सीओ ने कहा, "वास्तव में हाउस अरेस्ट किए जाने वाला व्यक्ति कोई और था, लेकिन नाम एक जैसे होने से यह गड़बड़ी हुई।"

हालांकि, पुलिस की इस सफाई से स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम नहीं हुई है। वे सवाल उठा रहे हैं कि प्रधानमंत्री जैसे अति महत्वपूर्ण व्यक्ति के दौरे से पहले पुलिस इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकती है? अगर पुलिस अपने ही पार्टी के कार्यकर्ता और विपक्षी नेता के नाम में फर्क नहीं कर पा रही, तो सुरक्षा और खुफिया जानकारी के इंतजामों पर कैसे भरोसा किया जाए? पीएम मोदी के दौरे से पहले हुई इस चूक ने न सिर्फ पुलिस की तैयारियों पर सवालिया निशान लगाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि अति उत्साह में की गई कार्रवाई से कितनी बड़ी गलतियाँ हो सकती हैं। यह घटना एक महत्वपूर्ण सबक है कि संवेदनशील परिस्थितियों में हर कदम फूंक-फूंक कर उठाना चाहिए।

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