कब कैसे होगा नहरों की सिल्ट सफाई व मरम्मत, हर साल होती है खानापूर्ति
जिले में 68 हजार हेक्टेयर खेतों की सिंचाई का है रकबा
जिले में खूब है छोटी-बड़ी नहरों की जाल
कोई झंखाड़ से तो कुछ सिल्ट से पटी
कागजों में होती है नहरों की सफाई
क्या सांसद विधायक इस पर भी देंगे ध्यान
चंदौली जिले में 68 हजार हेक्टेयर खेतों की सिंचाई के लिए करीब 600 किमी लंबा छोटी-बड़ी नहरों की जाल बिछा है, लेकिन सफाई न होने से नहरों की स्थिति बदहाल है। जिले में धान की कटाई जोरों पर है। इसके बाद गेहूं की बुआई का काम शुरू होगी। जिसके लिए किसानों को पानी की जरूरत होगी। जिले की अधिकांश नहरें झाड़ झंखाड से पटी हैं। इससे किसान चिंतित हैं।
किसान दिवस में कई बार नहरों व माइनरों की साफ-सफाई का मुद्दा उठा। वहीं सिंचाई विभाग का दावा है कि दिवाली के बाद नहरों की सफाई शुरू करा दी गई है। हकीकत यह है कि नरायनपुर पंप कैनाल, लतीफशाह बीयर से निकली नहरें, साफ-सफाई न होने से झाड़-झंखाड़ से पटी हैं।
वैसे अगर देखा जाए तो हर साल सिंचाई विभाग अक्तूबर और नवंबर माह में नहरों की साफ-सफाई कराने का दावा करता है, लेकिन सफाई के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी सूखी नहरों की सफाई कराई जा रही हैं, जबकि जिन नहरों में पानी भरा है, उनकी सफाई बाद में पानी के सूखने पर कराई जाएगी।
वहीं स्थानीय किसानों का कहना कि अनावश्यक रुप से नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे नहरों की सफाई रूक जाय और विभाग को खानापूर्ति करने का मौका मिल जाए। शहाबगंज क्षेत्र के किसानों ने दो दिन पहले आरोप लगाया था कि लतीफशाह बीयर से निकली लेफ्ट व राइट कर्मनाशा नहर में पानी छोड़ दिया गया है। इससे जहां धान की कटाई में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। वहीं नहरों की सफाई भी बाधित हो गई है। किसानों ने आरोप लगाया कि हर वर्ष नहरों की सिल्ट सफाई के लिए आने वाले बजट की बंदरबाट हो जाती है, लेकिन चंदौली जिले के सत्ता पक्ष के नेता इसकी देखभाल करने की जहमत नहीं उठाते हैं।
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