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कोतवाली प्रभारी के चहेते सिपाहियों हटा नहीं पा रहे हैं कप्तान साहब, तबादले के बाद गाड़ रखा है खूंटा

पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे लगातार पुलिस विभाग के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाते हुए पुलिसकर्मियों पर थोक भाव में कार्यवाही कर रहे हैं, लेकिन चकिया थाने में तैनात दो सिपाही का बाल बांका नहीं कर पा रहे हैं।
 

एसपी साहब एक नज़र इधर भी देख लीजीए

थानेदार साहब के खासमखास सिपाहियों को नहीं कर रहे हैं रिलीव

क्षेत्र में करते हैं राजा की तरह कारखासी

आपका आदेश हो रहा है हवा-हवाई 

चंदौली जिले के पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे लगातार पुलिस विभाग के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाते हुए पुलिसकर्मियों पर थोक भाव में कार्यवाही कर रहे हैं, लेकिन चकिया थाने में तैनात दो सिपाही का बाल बांका नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि उसका ट्रांसफर भी अप्रैल महीने में बलुआ के लिए कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद भी वह बलुआ के लिए रिलीव नहीं किए गए। ऐसा लगता है कि चकिया कोतवाली प्रभारी के साथ दिन भर घूमने वाले और कारखासी के माहिर इन धुरंधरों पर अभी तक साहब की निगाह नहीं पड़ पाई है।

आपको बता दें कि चंदौली के पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे  लगातार पुलिस विभाग से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई किए जा रहे है। अब तक के इतिहास में ऐसे इकलौते पुलिस अधीक्षक चंदौली को मिले हैं जो की भारी संख्या में पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही किया है। यही नहीं कहीं-कहीं पूरे थाने पर ही करवाई कर दिया है, लेकिन जनपद के चकिया थाने में तैनात दीप चंद्रगिरी व जलभरत यादव पर उनकी नजर अभी तक नहीं पड़ पाई है। 


सूत्रों की माने तो दीप चंद्रगिरी व जलभरत यादव चकिया थाने में कारखासी करते हैं और जंगल में मंगल करने के कारण कोतवाल साहब की आंखों के तारे हैं। 16 अप्रैल को बलुआ थाने पर उनका स्थानांतरण भी हुआ था, लेकिन वह चकिया से जाना नहीं चाह रहे हैं। इसीलिए लोगों में इस बात को लेकर जोरों पर चर्चा है कि दोनों का जब स्थानांतरण आदेश जारी हो चुका है तो फिर ये चकिया में क्यों टिके हुए हैं। आखिर कप्तान साहब के फरमान को चकिया कोतवाली प्रभारी क्यों नहीं मान रहे हैं।

Chakiya Kotwal

ऐसा कहा जा रहा है कि अपने थानेदार साहब के खासमखास लोगों में शुमार दीप चंद्रगिरी व जलभरत यादव चकिया क्षेत्र में खासी पकड़ है। इसीलिए उसे छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। इस इलाके में इसकी चर्चा जोरों पर हो रही है कि चकिया में ये दोनों सिपाही क्यों रहना चाहता है, जबकि उसका तबादला बलुआ थाने पर हो चुका है। मामला साफ है वे सिपाही के काम से ज्यादा और कामों में माहिर हैं। वे एक इशारे पर बहुत कुछ मैनेज करने का जुगाड़ रखते हैं और थाना चलाने के लिए जरूरी सभी सुविधाओं व संसाधनों की पलक झपकते ही व्यवस्था कर दिया करते हैं..लेकिन आपको ये नहीं बता सकते कि ये लोग इन सारे कामों को कैसे करते हैं और इसके लिए पैसे कहां से लाते हैं। ये बात पुलिस महकमे में जगजाहिर है। इसीलिए ऐसे लोग हर थानेदार की आंखों के तारे होते हैं और ऐसे ही लोगों का कारखास कहकर संबोधित किया जाता है।

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