चंदौली का 'स्वर्ग' हो रहा है उपेक्षा का शिकार, 2 करोड़ खर्च करने के बाद झाड़ियों में दिख रहे हैं सांप-बिच्छू
नौगढ़ का इको-टूरिज्म सेंटर बर्बाद होने की कगार पर
रास्त की टूटी पड़ी है 3 किमी की सड़क
बढ़ गयी हैं आसापास झाड़ियां और जंग लगे झूले
प्रशासन सिर्फ कागजों पर कर रहा है सफाई
सैलानियों के लिए बढता जा रहा है बड़ा खतरा
प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में स्थित छानपाथर जलप्रपात (दरी) आज वन विभाग की बदइंतजामी और उपेक्षा का शिकार बन गया है। लगभग दो करोड़ रुपये की भारी लागत से विकसित किया गया यह पर्यटन स्थल अब अपनी चमक खो चुका है और पूरी तरह से बदहाली की मिसाल बन गया है। पार्क में फैली बड़ी-बड़ी झाड़ियां, टूटी हुई सड़कें और जंग लगे झूले इस खूबसूरत पर्यटन स्थल की रौनक को फीका कर रहे हैं।

सैलानियों के लिए बढ़ा खतरा, झाड़ियों में सांप-बिच्छू का बसेरा
छानपातर दरी के पार्क क्षेत्र में फैली झाड़ियों की ऊंचाई अब इतनी बढ़ गई है कि यह सैलानियों की कमर से भी ऊपर तक पहुंच चुकी है। इन ऊँची झाड़ियों ने सैलानियों की मुश्किलें बहुत बढ़ा दी हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि झाड़ियों के भीतर सांप, बिच्छू और गोह जैसे खतरनाक जीवों ने अपना बसेरा बना लिया है।
खासकर, सेल्फी प्वाइंट और वॉकिंग पाथ पूरी तरह से इन झाड़ियों में ढंके हुए हैं, जिसके कारण यहां घूमना खतरे से खाली नहीं है। सोनभद्र से अपने परिवार के साथ घूमने आए रमेश प्रजापति और शंकर यादव ने बताया कि झाड़ियों के कारण बच्चे और महिलाएं तो पार्क में प्रवेश करने से भी डर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है, जबकि पार्क की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। नतीजा यह है कि यह सुंदर पर्यटन स्थल अब हादसे के डर से वीरान पड़ने लगा है।

तीन किलोमीटर की सड़क बनी गड्ढों का जाल
पर्यटन स्थल तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद खतरनाक हो चुका है। पंडी मार्ग से छानपातर तक की तीन किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क अब गड्ढों और फिसलन के जाल में तब्दील हो चुकी है। भारी बारिश के कारण जगह-जगह मिट्टी बह जाने से सड़क का अस्तित्व कई स्थानों पर पूरी तरह से खत्म हो गया है।
वाहन चालकों का कहना है कि थोड़ी सी लापरवाही होने पर गाड़ी के सीधे खाई में गिरने का खतरा रहता है। यह स्थिति जानते हुए भी, वन विभाग और प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। सड़क किनारे चेतावनी बोर्ड या सुरक्षा बैरिकेड तक नहीं लगाए गए हैं। ग्रामीणों ने कई बार वन विभाग के अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन न तो कोई निरीक्षण हुआ और न ही मरम्मत का कोई प्रयास।
करोड़ों का प्रोजेक्ट उपेक्षा की मिसाल
दो करोड़ रुपये की लागत से विकसित छानपाथर दरी में बनी अन्य सुविधाओं की हालत भी खराब है। बच्चों के लिए बनाए गए झूले, चिल्ड्रन पार्क और एडवेंचर जोन अब झाड़ियों और कीचड़ में डूबे पड़े हैं। जिन झूलों पर कभी बच्चों की हंसी गूंजती थी, आज उन पर जंग लग चुकी है और वे टूट-फूट का शिकार हैं। रेस्टोरेंट और ठहरने की व्यवस्था में भी सफाई और रखरखाव का घोर अभाव साफ तौर पर दिखाई देता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार मुख्य वन संरक्षक, जिलाधिकारी (DM), पुलिस अधीक्षक (SP) और डीएफओ निरीक्षण करने आए, लेकिन वे केवल फोटो खिंचवाकर लौट गए। नतीजतन, यह करोड़ों का प्रोजेक्ट अब वन विभाग की लापरवाही की एक जीती-जागती मिसाल बन चुका है।

प्राकृतिक सौंदर्य में छिपा है स्वर्ग जैसा नज़ारा
हालांकि, इन बदहाली के बीच भी छानपातर दरी का प्राकृतिक सौंदर्य बेजोड़ है। झरने का पानी जब नीचे गिरता है तो वाष्प बनकर ऊपर उठता है और धूप की किरणों से मिलकर इंद्रधनुष की खूबसूरत आकृति बनाता है। हर मौसम में यहां की हरी-भरी वादियां और झरने की गूंज मन को असीम शांति प्रदान करती है। आने वाले दिनों में यहां विदेशी साइबेरियन पक्षियों का आगमन भी होता है और आसपास के जंगलों में जंगली जीवों की मौजूदगी इस जगह को प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बना देती है। पहाड़ियों की हरियाली और पानी की कलकल ध्वनि से सैलानी खुद को प्रकृति के बेहद करीब महसूस करते हैं। अगर विभाग समय रहते रखरखाव पर ध्यान दे, तो यह स्थान पूर्वांचल का सबसे लोकप्रिय इको-टूरिज्म सेंटर बन सकता है।
रेंजर बोले- सफाई के लिए टीम गठित
इस मामले में, वन क्षेत्राधिकारी संजय श्रीवास्तव ने बताया कि पार्क क्षेत्र की झाड़ियों की सफाई के लिए कर्मचारियों की टीम गठित कर दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही सफाई कराई जाएगी। वहीं, सड़क की मरम्मत के लिए प्रभागीय वनाधिकारी और जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया है। स्थानीय लोगों ने भी विभाग की इस पहल की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि अगर समय रहते सफाई और मरम्मत हो जाए, तो छानपाथर दरी सैलानियों की पहली पसंद बन जाएगी। यह स्थान पर्यटन और रोजगार दोनों के लिए एक बड़ा केंद्र बनने की क्षमता रखता है।
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