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‘मोंथा चक्रवात’ का कैसे भरेगा जख्म, मुआवजा न मिलने से चंदौली में किसानों की टूटने लगी हैं उम्मीदें

किसानों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही नाजुक है, क्योंकि कुछ ही महीने पहले गंगा की बाढ़ ने उनकी फसलें नष्ट कर दी थीं, जिसका मुआवजा अब तक उन्हें नहीं मिला है।
 

बाढ़ के मुआवजे का इंतजार खत्म नहीं हुआ कि 'चक्रवात' ने फेरा पानी

भारतीय किसान संघ ने KCC ऋण माफ करने की मांग की

डीएम-एसडीएम को सांसद दर्शना सिंह का सख्त निर्देश

गांव-गांव कैंप लगाकर जल्द करें बर्बाद फसलों का सत्यापन

उत्तर प्रदेश के 'धान के कटोरे' कहे जाने वाले चंदौली जिले में बीते दो-तीन दिनों से हुई बेमौसम और भारी बारिश ने किसानों की बची-खुची उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। 'मोंथा चक्रवात' के प्रभाव से धान की कटाई के लिए तैयार खड़ी फसलें गिर गई हैं, जबकि कटी हुई धान और बाजरे की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं।

इस व्यापक नुकसान के बाद किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई है। चहनिया, नियामताबाद, धानापुर और बरहनी क्षेत्र में यह नुकसान सबसे ज्यादा हुआ है।

अंकुरण और जलमग्न फसलें

क्षेत्र में नुकसान की स्थिति बेहद गंभीर है। हर्धन गांव के किसान विनोद यादव ने बताया कि लगातार बारिश से खेत में छोड़कर रखी गई बाजरे की बालियों में अंकुरण (sprouting) हो गया है और पूरी फसल सड़ गई है।

वहीं रमदत्तपुर गांव के किसान अंकित मौर्य की कटी हुई धान की फसल खेतों में पूरी तरह पानी में डूब गई है। रविवार को कई किसान डूबी हुई फसल को बाहर निकालते दिखे। भारी नुकसान होने के बावजूद किसान अब भी भीगी हुई फसल से 'उम्मीद के दाने' तलाशने में जुटे हुए हैं।

पिछला मुआवजा नहीं, अब दूसरा प्रहार

किसानों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति पहले से ही नाजुक है, क्योंकि कुछ ही महीने पहले गंगा की बाढ़ ने उनकी फसलें नष्ट कर दी थीं, जिसका मुआवजा अब तक उन्हें नहीं मिला है। अब इस चक्रवाती बारिश ने उनकी उम्मीदों पर दूसरा गहरा प्रहार किया है।

नियामताबाद क्षेत्र में जल निकासी न होने का एक कारण पीडब्ल्यूडी (PWD) द्वारा सड़क चौड़ीकरण के कार्य को बताया गया है। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के जिलाध्यक्ष मनोज सिंह ने कहा कि पीडब्ल्यूडी ने पचोखर न्याय पंचायत में गड़ई नदी के आधे हिस्से को पाट दिया है, जिससे पानी निकासी रुक गई है और किसानों का नुकसान बढ़ गया है।

सांसद ने किया निरीक्षण, दिए कैंप लगाने के निर्देश

किसानों को हुए नुकसान की खबर मिलने के बाद रविवार को राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने तत्काल कार्रवाई की। उन्होंने एसडीएम अनुपम मिश्रा और नायब तहसीलदार राहुल सिंह के साथ मिलकर गगेहरा और नियामताबाद गांवों में खेतों में गिरी हुई फसलों का निरीक्षण किया।

सांसद ने प्रभावित किसानों से मिलकर उनकी परेशानियों को सुना। उन्होंने अधिकारियों को तुरंत निर्देश दिया कि गांव-गांव में कैंप लगाकर खेतों के सत्यापन का काम प्राथमिकता पर पूरा किया जाए, ताकि किसानों को जल्द से जल्द क्षतिपूर्ति राशि मिल सके। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हर संभव मदद करेगी।

किसान संघ की बड़ी मांगें

भारतीय किसान संघ उत्तर प्रदेश ने इस प्राकृतिक आपदा पर कड़ा रुख अपनाया है। जिलाध्यक्ष मनोज सिंह ने बताया कि संघ के आह्वान पर सभी जिलों के विकास खंड कार्यालयों पर खंड विकास अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। किसानों की मांग है कि बर्बाद हुई फसलों के सत्यापन के बाद क्षतिपूर्ति (मुआवजा) जारी की जाए और किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का एक फसली ऋण माफ कर दिया जाए।

किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने शीघ्र कदम नहीं उठाए तो क्षेत्र में उनकी आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक हो जाएगी।

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