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27 साल बाद भी नहीं बने 17 विभागों के दफ्तर, क्या चुनाव में ये भी होगा मुद्दा

वर्ष 1997 में जिले का गठन हुआ। जिला मुख्यालय तो बन गया लेकिन विकास भवन का निर्माण नहीं हो सका। कृषि भवन में विकास भवन चल रहा है।
 

जिला बनाने के बाद सो गयी सपा-बसपा सरकार

भाजपा सरकार का डबल इंजन भी फेल

किराये के भवनों में चल रहे हैं 17 विभागों के दफ्तर

चुनाव में बनाइए इसे भी मुद्दा

पूछिए दलों के नेताओं से सवाल

चंदौली जिले को बनाने को लेकर सपा-बसपा में पहले खींचतान चली। फिर दोबारा बहाल होने के बाद भी जिले को वह अटेंशन नहीं मिला जो राजनेताओं व दलों के मन में होना चाहिए था। जिले के गठन के 27 साल बाद भी 17 सरकारी विभागों को कार्यालय के लिए अपना भवन नहीं मिल पाये। कभी बजट तो कभी जमीन का बहाना करके ये कार्यालय किराये के भवनों में चल रहे हैं। इससे हर महीने 50 हजार से ज्यादा किराया देना पड़ रहा है। वहीं, दफ्तर ऐसी जगह पर हैं, जहां चार पहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाते।

आपको बता दें कि वर्ष 1997 में जिले का गठन हुआ। जिला मुख्यालय तो बन गया लेकिन विकास भवन का निर्माण नहीं हो सका। कृषि भवन में विकास भवन चल रहा है। बिछिया स्थित अस्थाई विकास भवन में कृषि विभाग, खेल विभाग, मुख्य विकास अधिकारी का कार्यालय, परियोजना अधिकारी, श्रम रोजगार विभाग, युवा कल्याण विभाग, अल्प बचत विभाग है। ये विभाग डीएम कार्यालय से एक किमी दूरी पर हैं।

इसके अलावा समाज कल्याण विभाग, उद्यान विभाग, मत्स्य विभाग, अल्पसंख्यक विभाग, बाल विकास परियोजना, पिछड़ा वर्ग विभाग, आबकारी विभाग, जिलापूर्ति विभाग, बाटमाप, लघु सिंचाई, आबकारी, जिला प्रोबेशन, उद्योग, नेहरू युवा केंद्र, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, अर्थ एवं संख्या विभाग के दफ्तर अलग-अलग जगह हैं। एक छोर पर समाज कल्याण विभाग है दूसरे छोर पर जिला प्रोबेशन विभाग।

बताते चलें कि श्रम प्रवर्तन विभाग और जिला उद्योग विभाग की दूरी एक किमी है। बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के कार्यालयों के बीच की दूरी छह किमी है। कलेक्ट्रेट कोषागार के भवन में संचालित है। इसका निर्माण 2018 में नौ करोड़ की लागत से शुरू हुआ लेकिन काम ठप हो गया। 2019 में फिर काम शुरू हुआ।

छह किमी दूरी पर है शिक्षा विभाग
एक दर्जन से अधिक विभाग नगर में दूर-दूर हैं। कलेक्ट्रेट से एक किलोमीटर दूर अस्थाई विकास भवन है तो वहीं शिक्षा विभाग के कार्यालय पांच से छह किलोमीटर दूरी पर हैं। ऐसे में अगर इन विभागों में किसी को काम पड़ता है लोगों को लंबी दौड़ लगानी पड़ती है।

जिला न्यायालय, जिला जेल का भी पता नहीं
जिले में अब तक जिला न्यायालय का भी निर्माण नहीं हो सका है। इसके लिए जिला प्रशासन ने जमीन चिह्नित कर ली है। लेकिन अभी निर्माण नहीं शुरू हो पाया है। इसके लिए जिले के अधिवक्ता काफी विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं। यही हाल जिला जेल का है। जिले के कैदी वाराणसी के जिला जेल या सेंट्रल जेल शिवपुर में रखे जाते हैं। पेशी के लिए रोजाना वाराणसी से चंदौली और शाम को फिर वाराणसी भेज दिया जाता है।


पॉलिटेक्निक कॉलेज में रहते हैं डीएम
दो दशक बाद भी डीएम और एसपी समेत कई अधिकारियों के लिए आवास भी नहीं बन पाए हैं। डीएम, सीडीओ, एसडीएम सदर, एएसपी और सीवीओ का आवास पॉलिटेक्निक परिसर में है। वहीं, एसपी का आवास सिंचाई विभाग के डाक बंगले में है। एडीएम राजकीय डिग्री कॉलेज तो परियोजना निदेशक सदर ब्लॉक के कार्यालय में रहते हैं। डीडीओ को नियामताबाद ब्लॉक के आवासीय भवन में रहते हैं।

इस संबंध में चंदौली जिले के मुख्य विकास अधिकारी एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि झांसी में 30 करोड़ रुपये की लागत से विकास भवन के निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। आचार संहिता के कारण काम रुका है। चुनाव बाद विकास भवन के निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।

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