भाजपा सपा से मान रही है अपना मुकाबला, ऐसे लगाए जा रही है वोटों की गुणा गणित
चंदौली लोकसभा चुनाव में जातिगत गुणा-गणित जारी
जानिए कितने वोट किसके पाले में जाने की उम्मीद
कैसे निकाले जा रहे हैं जातिगत आंकड़े
7 लाख वोटों को फोकस कर रहे हर दल के नेता
चंदौली जिले की चंदौली लोकसभा सीट के चुनाव में मौजूदा सांसद डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय अपना मुकाबला एक तरह से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह से ही मान रहे हैं, क्योंकि शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा में स्वागत भाषण के दौरान डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने अपने विपक्ष में उम्मीदवारों का नाम लिए बगैर निशाना साधा था। अपने काम और कार्यशैली को गिनाते हुए कैबिनेट मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय विपक्षी उम्मीदवार के कॉलेज व पेट्रोल पंप गिनाने लगे।
डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने चंदौली जिला मुख्यालय पर जनसभा में जिस तरह से सपा के उम्मीदवार का नाम लिए बगैर उनके पेट्रोल पंप, स्कूल और कॉलेज के साथ-साथ आईटीआई कॉलेज का जिक्र किया, उससे साफ-साफ जाहिर होता है कि उनके पास भी इस बात का फीडबैक है कि उनकी लड़ाई समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट से ही है।
आपको बता दें कि चंदौली लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की ओर से वीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है, जिनको इंडिया गठबंधन के अन्य दल भी उनका सहयोग कर रहे हैं। इसीलिए समाजवादी पार्टी के इस कैंडिडेट की स्थिति अन्य दलों के उम्मीदवारों से बेहतर बताई जाती है और भारतीय जनता पार्टी भी अपना मुकाबला इन्हीं से मान रही है।
चंदौली जिले में अगर हर दल के समर्थकों व प्रचारकों के गुणा गणित के हिसाब से जातिगत आंकड़े को देखें तो हर एक दल अपने हिसाब से राजनीतिक गणित लगा रहा है। राजनीतिक गुणा गणित लगाने वाले लोगों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय की नजर ढाई लाख ब्राह्मण मतदाताओं के साथ-साथ लगभग 2 लाख 80 हजार क्षत्रिय मतदाताओं पर भी है। इसके अलावा लोकसभा क्षेत्र में 1 लाख 40 हजार वैश्य और व्यापारी समुदाय के लोग हैं। इन वोटों को भाजपाई अपना परंपरागत वोट बैंक मान रहे हैं। साथ ही उनको उम्मीद है कि एक लाख अन्य जातियों के वोट भी भारतीय जनता पार्टी को मिल सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में लगभग 7 लाख से साढ़े 7 लाख वोटों को टारगेट करके अपनी जीत का अनुमान लगा रही है।
वहीं समाजवादी पार्टी भी पीडीएफ फार्मूले की के तहत लगभग 7 लाख वोट अपने ओर गिन रही है। सपा के के लोगों को लगता है कि एक लाख दलित मतदाता भी उनके खेमे में आएंगे। वहीं इलाके के 2 लाख अल्पसंख्यक वोट भी समाजवादी पार्टी के पाले में जा सकते हैं। वहीं अन्य जातियों के 1 लाख वोटों को भी मिला दिया जाए तो समाजवादी पार्टी लगभग 7 लाख वोट तक पहुंच सकती है।
वहीं अगर बहुजन समाज पार्टी के वोटों का हिसाब लगाया जाए तो लोगों का मानना है कि अनुसूचित जाति के 3 लाख वोटर परंपरागत रूप से बसपा के खेमे में जा सकते हैं। वहीं उनको उम्मीद है कि एक मुस्लिम मतदाता भी अबकी बार पलटी मार सकते हैं, क्योंकि मुस्लिम उसको वोट करेंगे, जो भाजपा को हराएगा। जबकि मौर्य और कुशवाहा मतदाता लगभग 1 लाख से अधिक है और वह भी बसपा को वोट कर सकते हैं। जबकि बसपा उम्मीदवार को यह लगता है कि 1 लाख अन्य जातियों के मतदाता भी उसके खेमे में आ सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो बसपा भी अपने लिए 7 लाख से अधिक वोटो का इंतजाम करती नजर आ रही है।
अब देखना यह है कि कौन किस जाति के वोटों को अपने खेमे में खींचने में सफल रहता है। लेकिन समर्थकों में अपने अपने तर्कों के हिसाब से चर्चाओं का बाजार गर्म है।
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