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नाम बदलने की राजनीति पर बयानबाजी तेज, जानिए विधायकजी को कैसा मिल रहा है जवाब

इस अपील के मीडिया में आने के बाद से स्थानीय राजनेता और चंदौली जिले के बुद्धिजीवी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के नाम बदलने की कवायद को गलत ठहरा रहे हैं।
 

भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुशील सिंह की मांग पर चर्चा

नाम बदलने की मांग पर तरह -तरह की प्रतिक्रिया

जानिए क्या कहते हैं चंदौली के बुद्धिजीवी व राजनेता

चंदौली जिले में भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुशील सिंह के द्वारा चंदौली जनपद के नाम बदलने की मांग पर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ-साथ जिले के स्थानीय लोगों ने भी अपनी बात रखनी शुरू कर दी है। इस दौरान जिले के लोगों में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नाम बदलने की आदत को गलत बताया है। एक शिक्षक ने कहा है कि अगर किसी के नाम पर कोई भी चीज बनानी है तो नया काम करके उनके नाम पर उसका नामकरण करें। पुराने नामों को बदलने की परंपरा ठीक नहीं है।

 आपको याद होगा कि 17 फरवरी को अलीनगर सकलडीहा मार्ग पर मटकुट्टा रेलवे ओवरब्रिज के लोकार्पण समारोह के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सैयदराजा विधानसभा सीट से विधायक सुशील सिंह ने चंदौली जिले में भाजपा के द्वारा विकास की गंगा बहाने का जिक्र किया था और जिले में हर रोज हो रहे विकास कार्यों से जिले का कायापलट होने की बात कही थी। साथ ही साथ इस बात का भी जिक्र किया कि चंदौली जिले में मेडिकल कॉलेज बनने के साथ-साथ कई ओवर ब्रिजों का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा विकास के नाम पर तमाम ऐसे कार्य हो रहे हैं, जिससे जिले का कायाकल्प हो रहा है। ऐसी स्थिति में उन्होंने जिले के सांसद और कैबिनेट मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के सामने जिले चंदौली जिले का नाम बदलकर वाराणसी देहात या बाबा कीनाराम के नाम पर रखने की अपील की था।

 आपको बता दें कि इस अपील के मीडिया में आने के बाद से स्थानीय राजनेता और चंदौली जिले के बुद्धिजीवी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के नाम बदलने की कवायद को गलत ठहरा रहे हैं। साथ ही साथ कुछ लोग सैयदराजा विधायक सुशील सिंह को नसीहत भी दे रहे हैं।

चंदौली की दोयम दर्जे की पहचान बनाना चाहते हैं विधायकजी- नारायणमूर्ति ओझा
 इस बारे में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता नारायणमूर्ति ओझा का कहना है कि चंदौली जिले के विश्वकर्मा कहे जाने वाले पंडित कमलापति त्रिपाठी ने चंदौली जिले को पहचान दिलाई है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को नाम बदलने का इतना ही शौक है तो चंदौली जिले का नाम पंडित कमलापति त्रिपाठी नगर रखा जाना चाहिए। पंडित कमलापति त्रिपाठी ने चंदौली जिले की शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई और आम लोगों की जरूरतों से जुड़े इतने काम किए थे, जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार में उपेक्षित पड़े हुए हैं। वाराणसी देहात का नाम रखने से चंदौली जिले के लोग दोयम दर्जे के गिने जाएंगे और यहां के लोगों की स्थिति और पहचान कानपुर देहात जैसी ही होगी। ऐसी किसी भी पहल का कांग्रेस पार्टी पुरजोर तरीके से विरोध करेगी।

चंदौली जिला पहले से लोकप्रिय-  चंद्रभानु सिंह
नाम बदलने के मुद्दे पर चंदौली सिविल बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष चंद्रभानु सिंह ने कहा कि चंदौली जनपद का नाम अगर बदला जाए तो केवल दो ही विभूतियों के नाम पर रखा जा सकता है। एक नाम पंडित कमलापति त्रिपाठी का है, जिन्होंने चंदौली जिले को देश के राजनीतिक पटल पर पहचान दिलाई थी और अगर भारतीय जनता पार्टी को इस पर आपत्ति है तो चंदौली जिले का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर भी रखा जा सकता है। बाबा कीनाराम को हर जगह खींच कर लाना अच्छी बात नहीं है। बाबा का हम सभी लोग सम्मान करते हैं और उनके नाम पर जिले का मेडिकल कॉलेज समर्पित कर दिया गया है। ऐसे में अन्य विभूतियों के नाम से जिले का नामकरण हो अन्यथा चंदौली जिला पहले से लोकप्रिय है और इसका नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है।

Chandauli Name Changing

दम हो तो पहले सैयदराजा का बदलवाइए विधायकजी- चंद्रमोहन सिंह भोदू

शिवसेना नेता व सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रमोहन सिंह भोदू का कहना है कि विधायक जी अगर नाम बदलना है तो सैयदराजा का बदलवाइए, जो आपकी विधानसभा का नाम है। चंदौली रानी चंद्रावती की थी और आगे भी रहेगी।अगर आप नाम बदलने का ढोंग करेंगे तो जनता आपको बदल देगी. जिले की बदहाली को बदल नहीं पाए और अब जिले का नाम बदलने चले हैं। हर जगह बाबा कीनाराम का नाम खींचकर बाबा कीनाराम पर राजनीति कर रहे हैं. हम लोगों को चंदौलीवासी होने पर गर्व है और आगे भी रहेगा।दूसरे जिले से चंदौली में आकर राजनीति करने वाले सुशील सिंह को अगर जिले के नाम से आपत्ति है तो वह अपने पसंद का जिला चुन लें और वहीं जाकर राजनीति करें।

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चंदौली के इतिहास को खत्म करना चाहते हैं भाजपाई- रामकिशुन यादव

रामकिशुन यादव ने कहा कि भाजपा की संस्कृति विकास की नहीं, केवल नाम बदलने की ही। भाजपा के लोग
धार्मिक उन्माद फैलान व विवाद बढ़ाने की कोशिशें करते हैं, जिससे विकास के मुद्दे पर लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर कौन सा कायापलट कर दिए। क्या चंदौली संत वाल्मिकि व व्यास की धरती नहीं है। शास्त्रीजी व पंडित कमलापति त्रिपाठी के नाम पर क्यों नहीं हो सकता है। नाम बदलने का काम चंदौली जिले के राजनेता किस मानसिकता के साथ कर रहे हैं यह तो वही बता सकते हैं। लेकिन ऐसा काम करके वह चंदौली के इतिहास को खत्म करना चाहते हैं।  

Chandauli Name Changing

केवल एक को ही सारा श्रेय क्यों- विनय वर्मा
जिले के वरिष्ठ पत्रकार व मोटीवेशनल स्पीकर विनय वर्मा का कहना है कि चंदौली नाम से जनपद की एक पृथक पहचान है। जनपद चंदौली सांस्कृतिक, साहित्यिक, अध्यात्मिक खेलकूद, राजनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी बहुत मजबूत है। इस जनपद के पहचान के लिए अब इतने वर्षों बाद हम सबको वाराणसी पर आधारित होने की आवश्यकता नहीं है। चंदौली जनपद का नाम पिछले दो दशकों में लोगों के मन मस्तिष्क में बैठ चुका है। अब तो इसे बदलना मेरे मत में कतई उचित नहीं है। नि:संदेह इस जनपद से कई महापुरुष जुड़े हुए हैं। अगर बहुत पौराणिक काल की बात करें तो वेदव्यास मंदिर के माध्यम से व्यास जी, जो नियमताबाद ब्लॉक में है। तो वहीं चकिया ब्लाक में जागेश्वर धाम स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मंदिर के नाम से यह दोनों ही बड़े महत्वपूर्ण हैं। बाबा कालेश्वरनाथ भी हैं। इसके अलावा अगर देखा जाए तो बाबा कीनाराम और उन सभी के दर्जनों महान संत जनपद को प्रकाशित किए हैं, यह सब इस जनपद की सांस्कृतिक, सामरिक और अध्यात्मिक पूजी है। किसी एक व्यक्ति के नाम पर जनपद का नाम करना अन्य महान विभूतियों के लिए न्याय नहीं होगा। इसलिए जो नाम चल रहा है वह बदला जाना उचित नहीं है।

Chandauli Name Changing

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