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पॉलीटेक्निक कालेज में निर्मित गर्ल्स हॉस्टल खंडहर में हुआ तब्दील, डीएम साहब को याद नहीं

चंदौली पॉलीटेक्निक का निर्माण पूर्व सीएम पं. कमलापति त्रिपाठी ने 1957-58 में किया था। समय के साथ ही छात्राओं की भी संख्या बढ़ती गई। लेकिन उन्हें हास्टल की सुविधा मुहैया नहीं हो सकी।
 

समय निकालकर इसे भी देखिए डीएम साहब

ढ़ाई करोड़ खर्च करके भूल गए हैं अधिकारी

ठेकेदारों व कमीशनखोर अफसरों की मिलीभगत से अटकी है जांच व काम

चंदौली जिले के पॉलीटेक्निक कालेज में निर्मित गर्ल्स हॉस्टल खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। इसके कारण कि बिल्डिग आज तक हैंडओवर ही नहीं हो सका। करीब 248.35 लाख रुपये की लागत से 902.04 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में 90 सीटर के 30 कमरों का तीन मंजिला गर्ल्स हॉस्टल बनने के बाद भी छात्राओं को सुविधा नहीं मिल रहा है।


आलम यह है कि छात्राएं बाहर किराए के भवन में रहने को विवश हैं। जबकि उक्त परिसर में डीएम, सीडीओ समेत अन्य आला अफसर रहते है। इसके बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चंदौली पॉलीटेक्निक का निर्माण पूर्व सीएम पं. कमलापति त्रिपाठी ने 1957-58 में किया था। समय के साथ ही छात्राओं की भी संख्या बढ़ती गई। लेकिन उन्हें हास्टल की सुविधा मुहैया नहीं हो सकी। इससे गैर जिलों से पढ़ाई करने आयी छात्राएं किराए के भवनों में रहती थी। इसके चलते छात्राओं को कई तरह की समस्याएं उठानी पड़ रही थी। इसे देखते हुए तत्कालीन डीएम रहे एनके सिंह ने कॉजल परिसर में ही खाली पड़ी जमीन पर गर्ल्स हॉस्टल निर्माण को लेकर पहल शुरू की थी। इसके लिए कॉलेज में पड़े बचत फंड की धनराशि लगाने की सहमति बनी।


इसके साथ ही 17 जनवरी 2015 को भूमि पूजन के साथ ही शिलापट्ट का शिलान्यास कर गर्ल्स हास्टल का निर्माण शुरू कराया। इसमें कार्यदायी संस्था निर्माण प्रखंड पैकफेड वाराणसी प्रथम को लगाया गया था। कार्यदायी संस्था की ओर से करीब पांच साल पहले ही गर्ल्स हास्टल की बिल्डिग का निर्माण कार्य पूरा करा दिया गया। लेकिन गुणवत्ता पूर्ण नहीं पाए जाने पर बिल्डिंग जांच में अटकी गई। यही कारण है कि हैंडओवर नहीं हो पाया है।

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